प्रवासी मजदूरों के सेफ ट्रांसपोर्टेशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से गुहार

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नई दिल्ली
महाराष्ट्र के औरंगाबाद इलाके में 16 मजदूरों की मौत के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि मुंबई के प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सेफ इंतजाम किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया है कि प्रवासी मजदूरों के सेफ ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता ने अपनी साफ मंशा जाहिर करने के लिए यूपी के संत कबीर नगर और बस्ती इलाके के जो प्रवासी मजदूर मुंबई में रहते हैं उनके ट्रांसपोर्टेशन के लिए 25 लाख रुपये भी जमा किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सगीर अहमद खान की ओर से एडवोकेट एजाज मकबूल ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि याचिककर्ता खुद संत कबीर नगर के प्रवासी हैं। वह अपना सामाजिक दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। पहले यूपी सरकार के संबंधित अथॉरिटी को इस मामले में अप्रोच किया गया लेकिन फिर भी फायदा नहीं हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। अर्जी में कहा गया है कि सरकारी की उदासीन रवैये के कारण मजदूरों की जिंदगी खतरे में है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूर अपने जीवन यापन करने में असमर्थ हो गए हैं। वो इस स्थिति में मुंबई में अपना जीवन यापन नहीं चला पा रहे हैं इसी कारण वह मुंबई छोड़ने को मजबूर हैं और वहां से अमनीय स्थिति में घर जा रहे हैं। इस दौरान रास्ते में कई मजदूर थककर दम तोड़ रहे हैं। कई प्रवासी मजदूर एक-एक ट्रक में भरकर 100-120 की संख्या में जा रहे हैं। जिस अमानीय स्थिति में मजदूर जाने को मजबूर हो रहे हैं वह वास्तव में उनके जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

लॉकडाउन में ये मजदूर असल में असहाय हो चुके हैं। याचिकाकर्ता से प्रवासी मजदूरों ने फोन कर सहायता मांगी थी। याचिकाकर्ता को बताया गया कि ट्रेन और बस से उन्हें भेजा जाएगा। लेकिन जब याचिकाकर्ता ने यूपी सरकार के नोडल ऑफिसर से इस बारे में सहायता के लिए फोन किया और मेल किया जो कोई रिप्लाई नहीं आया। याचिकाकर्ता को बताया गया कि मजदूरों से ट्रक में छोड़ने के लिए पांच हजार रुपये मांगे जा रहे हैं।

प्रवासी मजदूरों के लिए याचिकाकर्ता ने बस अथवा ट्रेन बुक करने की कोशिश की लेकिन नोडल ऑफिसर के असहयोग के कारण ये संभव नहीं हो पाया है। स्थानीय सरकार से अप्रोच करने पर बताया गया कि मजदूरों को फॉर्म भरने होंगे और ये मजदूरों के लिए संभव नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि प्रवासी मजदूरों को सेफ उनके घर पहुंचाने के लिए निर्देश दिया जाए।

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