प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के मामले में अटॉर्नी जनरल से सुप्रीम कोर्ट ने मांगी मदद

1 min read

नई दिल्ली
प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि वह कोर्ट को सहयोग करें। प्रशांत भूषण की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि मामले में कानून के बड़े सवालों पर विचार होना है और ऐसे में मामले में अटॉर्नी जनरल की मदद ली जानी चाहिए। इस मामले में जो सवा हमारे द्वारा तैयार किया गया है उस पर अटॉर्नी जनरल की मदद ली जानी चाहिए। इस मामले में अदालत ने भी सवाल तय किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैकि पूरा रेकॉर्ड अटॉर्नी जनरल के ऑफिस भेजे जाएं और उनसे मदद मांगी गई है। अदालत ने सुनवाई के लिए 12 अक्टूबर की तारीख तय कर दी है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच के सामने मामले की सुनवाई हुई। पिछली सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने की थी और उनके रिटायरमेंट के बाद इस मामले की सुनवाई अब जस्टिस खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच कर रहे हैं। पिछली सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने दलील दी थी कि इस मामले में जो सवाल उठे हैं उसे संवैधानिक बेंच के सामने रेफर किया जाए।

पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि बड़ा सवाल इस मामले में आया है कि जब किसी जज पर करप्शन का आरोप लगाया जाता है तो क्या वह पब्लिक डोमेन में जा सकता है उसकी क्या प्रक्रिया है। इस दौरान राजीव धवन ने दलील दी कि इस मामले में हमने भी सवाल कोर्ट के सामने दिया है। फ्री स्पीच का जो जूरिस्प्रूडेंस है उसमें स्वयं संज्ञान के कंटेप्ट के मामले में क्या प्रभाव है। यानी अदालत ने खुद समय-समय पर अभिव्यक्ति की आजादी को व्यापक किया है उसका प्रभाव कंटेप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट पर जो पड़ता है उस पर विचार की जरूरत है और वह संवैधानिक बेंच को सुनना चाहिए। राजीव धवन ने कहा कि मामले में अटॉर्नी जनरल को नोटिस किया जाना चाहिए। तब जस्टिस मिश्रा ने कहा था कि इसे दूसरे बेंच के लिए छो़ड़ा जाना चाहिए साथ ही मामले में एमिकस क्यूरी की भी जरूरत है।

प्रशांत भूषण के खिलाफ 2009 के अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट मेरिट पर आगे सुनवाई करेगा। प्रशांत भूषण ने मामले में जो स्पष्टीकरण दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्टीकरण को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मामले में मेरिट पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अगस्त को कहा था कि प्रशांत भूषण और जर्नलिस्ट तरुण तेजपाल के खिलाफ वह अवमानना के मामले का परीक्षण करेगा और इस बात को एग्जामिन करेगा कि उनके द्वारा जजों के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी अदालत की अवमानना है या नहीं।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours