आईपीएस अधिकारी चर्चित पुलिस अफसरों में से एक हैं। सोशल मीडिया पर उन्हें ‘दंबग’, ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ और ‘सिंघम’ जैसे नामों से बुलाया जाता है। चर्चा के साथ-साथ विवादों से भी शर्मा का खूब नाता रहा है। उन एनकाउंटर्स पर भी सवाल उठे हैं, जिसमें वह शामिल रहे हैं। इसके अलावा घूसखोरी, ट्रांसफर के लिए सेटिंग जैसे विवादों में भी अजय पाल शर्मा पर उंगलियां उठी हैं। हाल ही में सस्पेंड हुए आईपीएस वैभव कृष्ण की रिपोर्ट में अजय पाल शर्मा का भी नाम था, जिसके बाद उन्हें रामपुर के एसपी के पद से हटा दिया गया। अब अजय पाल शर्मा अपनी कथित पत्नी के कारण विवादों में हैं।
खुद की अजय पाल शर्मा की पत्नी बताने वाली एक महिला दीप्ति शर्मा ने लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई है। रिपोर्ट दर्ज करवाने वाली और वकील दीप्ति शर्मा ने तहरीर में लिखा है कि उन्हें परेशान करने के लिए अजय पाल शर्मा ने कई केस दर्ज करवाए हैं। फिलहाल दीप्ति इस समय जेल में बंद हैं।
आईपीएस वैभव कृष्ण की रिपोर्ट में आया था नाम
अजय पाल शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने गैंगस्टर के आरोपी कथित पत्रकार चंदन राय के साथ मेरठ में तैनाती के लिए 80 लाख रुपये के लेनदेन की बात की। इस संबंध में दो ऑडियो क्लिप भी सामने आए हैं। आरोप है कि चंदन राय ने अजय पाल शर्मा की पोस्टिंग के लिए लखनऊ के अतुल शुक्ला और स्वप्निल राय से बातचीत की है, इसके भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं। एक आरोपी नीतीश को नोएडा पुलिस के आने से पहले भाग जाने के लिए हुई बातचीत के भी साक्ष्य हैं।
इसके अलावा जिस महिला ने अजय पाल शर्मा के नोएडा एसएसपी रहते हुए उन पर शारीरिक शोषण के आरोप लगाए थे, उसे फर्जी मुकदमे में फंसाने, चंदन राय द्वारा पुलिस कस्टडी में रखे उसके मोबाइल फोन से फोटो, विडियो और अन्य चीजें डिलीट करवाए जाने के लिए हुई बातचीत के भी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मिले हैं। ये सभी साक्ष्य साइबर इमरजेंसी रेस्पांस सिस्टम (सीईआरटी) द्वारा गिरफ्तार कथित चारों पत्रकारों के मोबाइल फोन के विश्लेषण में सामने आए हैं।
ताबड़तोड़ एनकाउंटर करके चर्चा में आए
साल 2011 बैच के आईपीएस अफसर डॉ. अजय पाल शर्मा का विवादों से पुराना नाता है। हालांकि, इस सरकार में एसपी शामली रहते हुए ताबड़तोड़ एनकाउंटर करने के चलते अजय पाल शर्मा सरकार की आंखों का तारा बन गए थे। अजय पाल शर्मा को इनाम में नोएडा जिले की कप्तानी मिली थी लेकिन वहां किए उनके ज्यादातर एनकाउंटर विवादों के घेरे में रहे। कॉल सेंटर संचालक से करीब 80 लाख की रिश्वत का बड़ा मामला हुआ। तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह के हस्तक्षेप के बाद कॉल सेंटर संचालक की रकम लौटाई गई। इस मामले में थाने के एसएचओ और अन्य स्टाफ पर कार्रवाई हुई।
एक महिला पत्रकार ने भी अजय पाल शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले की शिकायत सीएम के यहां तक पहुंची थी। नोएडा में तैनाती के दौरान डॉ. अजय पाल शर्मा की कार्यशैली को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक विडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उन्हें फटकारा भी था। इसके कुछ महीने बाद ही अजय पाल शर्मा को नोएडा से हटा दिया गया था। कुछ दिन साइड में रखने के बाद तत्कालीन डीजीपी ओपी सिंह ने उन्हें फिर से रामपुर का एसपी बनाया था। हालांकि, उस दौरान भी चर्चा आई थी कि अजय पाल शर्मा किसी बड़े जिले में तैनाती के लिए लगे हैं। बाद में वैभव कृष्ण की जांच रिपोर्ट में यह बात सामने भी आई थी कि अजय पाल शर्मा कथित पत्रकारों के जरिए मेरठ में तैनाती के लिए 80 लाख रुपये के लेनदेन की बात कर रहे थे।
नाबालिग से रेप के आरोपी का एनकाउंटर
जून 2019 में रामपुर में एक छह साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया। उस समय अजय पाल शर्मा ही रामपुर के एसपी थे। उनकी अगुवाई में पुलिस ने रेप आरोपी नाजिल को एनकाउंटर में गिरफ्तार किया। एनकाउंटर के दौरान नाजिल को तीन गोलियां मारी गईं। इस एनकाउंटर को लेकर अजय पाल शर्मा की खूब तारीफ हुई थी। लोगों ने उन्हें ‘सिंघम’ जैसे नामों से नवाजते हुए यह कहा कि पुलिस अधिकारी तो ऐसा ही होना चाहिए।
कौन हैं दीप्ति शर्मा और क्या है नया मामला
गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित आस्था अपार्टमेंट में रहने वाली वकील दीप्ति शर्मा दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं। उनका दावा है कि 2016 में अजय पाल शर्मा के साथ उनकी शादी गाजियाबाद में रजिस्टर्ड भी हुई थी। दीप्ति का कहना है कि डॉ. अजय पाल से उनके रिश्ते कुछ बातों को लेकर खराब हो गए थे। इस संबंध में उन्होंने महिला आयोग, पुलिस विभाग, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में शिकायत भी की थी। शिकायती पत्रों के साथ उन्होंने शादी के सबूत भी लगाए थे।
दीप्ति शर्मा का कहना है कि 18 सितंबर 2019 को रामपुर जिले के सिविल लाइन थाने के बृजेश राना, मथुरा और कुछ अन्य लोग घर पहुंचे। घर से लैपटॉप, डीवीआर और अन्य सामान उठा ले गए। इसकी शिकायत उन्होंने डीआईजी रेंज मेरठ से भी की थी। दीप्ति शर्मा के मुताबिक, 2019 में फोन पर डॉ. अजय पाल शर्मा से उनका झगड़ा हुआ था। इसके बाद उन्हें साजिशन गिरफ्तार करवाया गया। दीप्ति का कहना है कि जेल में रहने के दौरान उनके ऊपर बुलंदशहर के सिकंदराबाद थाना, गाजियाबाद के सिहानी गेट, रामपुर के सिविल लाइन समेत कई जगह धोखाधड़ी, आईटी ऐक्ट समेत कई केस दर्ज किए गए थे।
दीप्ति का आरोप- अजय पाल शर्मा ने मिटवाए सबूत
आरोप है कि सभी केस उन्हें परेशान करने के लिए किए गए थे, जिससे दीप्ति डॉ. अजय पाल शर्मा के खिलाफ बयान न दे सकें। उनका कहना है कि बाद में उनके पांचों मोबाइल डॉ. अजय पाल के परिचित चंदन राय के पास पहुंचा दिए गए थे। मोबाइल से साक्ष्य मिटा दिए गए। लिहाजा पीड़िता ने इस पूरे मामले की जांच के लिए विशेष सचिव गृह डॉ. अनिल कुमार सिंह से गुहार लगाई थी।
विशेष सचिव गृह के निर्देश पर हजरतगंज पुलिस ने आईपीएस डॉ. अजय पाल शर्मा, चंदन राय, उपनिरीक्षक विजय यादव, दीप्ति को गिरफ्तार करने वाली अज्ञात टीम व अन्य के खिलाफ गबन, आपराधिक साजिश और साक्ष्य मिटाने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। डॉ.अजय पाल मौजूदा समय में उन्नाव पीटीसी में एसपी के पद पर तैनात हैं।