बर्फीली हवा, अचानक हमला..चीन को यूं जवाब

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रोहतक
हरियाणा के रोहतक में रहने वाले रिटायर्ड सूबेदार कपूर सिंह अब काफी बूढ़े हो चले हैं। उनका शरीर भी थकने लगा है। लेकिन चीन के साथ 1962 की जंग का जिक्र आते ही वह जोश से भर जाते हैं। वह याद करते हुए बताते हैं कि उस वक्त चीनी फौज की तुलना में कमजोर रहने के बाद भी भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया था।

भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प की घटना के बाद स्थिति असामान्य हो गई है। गंभीर होती जा रही स्थिति और सीमा पर फौज की तैनाती के साथ ही उन पूर्व सैनिकों की यादें एक बार से ताजा हो गई हैं, जिन्होंने 1962 में चीन के साथ हुई जंग में शौर्य दिखाया था। सूबेदार कपूर सिंह भी उनमें से एक हैं। जंग के वक्त उनकी पोस्टिंग 5-जाट रेजिमेंट में लद्दाख की फॉगरॉन घाटी में थी।

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एक दैनिक अखबार के साथ हुई बातचीत में सूबेदार ने बताया, ‘1957 में बतौर सिपाही 5-जाट रेजिमेंट में मेरी भर्ती हुई थी। 1962 में मैकमोहन रेखा पर तनाव बढ़ा तो कंपनी को चांगला टॉप के लिए रवाना किया गया। तापमान जीरो से भी कम था। बर्फीले पहाड़ों पर पहुंचने पर ऐसा लग रहा था, जैसे शरीर में खून जम गया हो। शरीर को गर्म रखने के लिए हम कई बार चाय पीते रहते थे।’

रोहतक के घरौठी गांव निवासी सूबेदार ने बताया, ‘एक-एक कंपनियों को गलवान घाटी, फॉगरान घाटी, हॉट स्प्रिंग और डॉट बगाडी में तैनात किया गया। इसी बीच अचानक से चीनी सेना ने हमला कर दिया। गलवान घाटी में हमारे जवानों ने बखूबी सामना किया और काफी शहीद हो गए। हॉट स्प्रिंग में भी दोनों देशों के सैनिकों में जंग चली। करीब 3 महीने तक युद्ध हुआ।’

उन्होंने बताया, ‘उस समय भारत युद्ध के लिए तैयार नहीं था। लेकिन फिर भी सैनिकों ने बहादुरी के साथ चीनी सेना का सामना किया। उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया। उस लड़ाई में चीन का पलड़ा भारी रहा था। भौगोलिक स्थिति भी उनके पक्ष में थी और उनके सैनिकों की संख्या भी अधिक थी। हथियार भी उनके पास काफी अधिक थे। लेकिन आज हालात पहले से काफी बदले हुए हैं। अब भारत काफी मजबूत है और चीन को धूल चटा देगा।’

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