बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआई) ने अवमानना मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा दोषी ठहराने के बाद 1 रुपये के जुर्माने की सांकेतिक सजा पाने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण का मामला दिल्ली बार काउंसिल के पास विवेचना करने और कानून सम्मत फैसला लेने के लिए भेजा है।
राज्य की बार काउंसिल ही एक व्यक्ति को वकालत करने का लाइसेंस प्रदान करती है और उसे अधिवक्ता कानून के तहत कतिपय परिस्थितियों में अपने सदस्य का वकालत करने का अधिकार निलंबित करने या इसे वापस लेने सहित व्यापक अधिकार प्राप्त हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की आम परिषद की 3 सितंबर को संपन्न बैठक में उच्चतम न्यायालय के फैसले पर विचार किया गया।
बीसीआई ने इस बैठक में दिल्ली बार काउंसिल को, जहां प्रशांत भूषण अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हैं, निर्देश देने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि वह नियमों के मुताबिक इस मामले की विवेचना करें और जल्द इस पर निर्णय ले। प्रशांत भूषण ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में अवमानना मामले में दंड के रूप में एक रूपया जमा कराया।
जस्टिस अरूण मिश्रा (अब सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय पीठ ने न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक ट्वीट करने के कारण प्रशांत भूषण को 14 अगस्त को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था और 31 अगस्त को उन पर 1 रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था। न्यायालय ने कहा था कि जुर्माना अदा नहीं करने पर अवमाननाकर्ता को 3 महीने की कैद भुगतनी होगी और वह तीन साल तक वकालत करने से प्रतिबंधित रहेगा।
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