बिहार के रण से पहले नड्डा चुनेंगे सेना, रचेंगे व्यूह?

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पटना
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा यानी जेपी नड्डा () बिहार जैसे बड़े चुनाव से पहले अपनी नई टीम का ऐलान करेंगे। दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी की कमान संभालने के बाद नड्डा का पहला बड़ा टेस्ट बिहार () में ही होगी। राजनीति के जनक कहे जाने वाले चाणक्य की यह वही धरती है जहां बीजेपी के सबसे बड़े चुनाव प्लानर कहे जाने वाले अमित शाह को भी चुनौती का सामना करना पड़ा था। हालांकि, बिहार में 2020 में, 2015 से अलग परिस्थितियां हैं। थोड़ी बहुत भी बिहार की राजनीति को समझने वाले जानते हैं कि नड्डा को अमित शाह जैसी चुनौती सामना नहीं करना होगा। आइए पहले नड्डा की बनने वाली नई टीम के बारे में समझने की कोशिश करते हैं।

नड्डा के ‘थिंकटैंक’ में किसको मिलेगी जगह?
बीजेपी को करीब से जानने वाले जानते हैं कि बीजेपी की केंद्रीय टीम पार्टी को चलाने में थिंकटैंक का काम करती है। ऐसे में जेपी नड्डा (JP Nadda) भली-भांति समझते होंगे कि किसी भी चुनाव की प्लानिंग में थिंकटैंक का मजबूत होना कितना जरूरी होता है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) को अध्यक्ष बने चार महीने से ज्यादा का समय बीत गया है, लेकिन अब तक उन्होंने अपनी टीम फाइनल नहीं की है।

सूत्रों का कहना है कि जेपी नड्डा (JP Nadda) अपनी टीम का ऐलान इस महीने के आखिरी में या जून के पहले सप्ताह में कर देंगे। पहले चुनावी व्यस्तता और फिर कोरोना की वजह से अभी तक संगठन का विस्तार नहीं हो पाया था, लेकिन अब इसकी तैयारी चल रही है। राज्य स्तर पर संगठन बनाने का काम दिल्ली जैसे राज्यों को छोड़कर लगभग पूरा हो चुका है।

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पार्टी में कौन संभालेगा सुषमा-जेटली की कुर्सी?
सूत्रों के मुताबिक, अब पार्टी के केंद्रीय संगठन में भी फेरबदल की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बीजेपी कार्यालय में सीमित स्टॉफ के साथ नियमित कामकाज कुछ हद तक शुरू हो गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) जो कि इसी साल जनवरी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, अब अपनी नई टीम पर काम करना शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि इस महीने के अंतिम में या जून के पहले सप्ताह तक नई राष्ट्रीय टीम की घोषणा कर दी जाये।

नड्डा की नई टीम नए कलेवर वाली होगी। सभी वर्गों और सभी राज्यों को उचित स्थान दिया जाएगा। नड्डा ने नई टीम के लिए राज्यों को भेजे एक सर्कुलर में कहा था कि युवाओं, महिलाओं और नए चेहरों को मौका देने पर जोर होना चाहिए। सर्कुलर में कहा गया था कि इन वर्गों में समान अनुपात से लोगों को मौका दिया जाए। इसके लिए राज्यों से उन्होंने वर्ग के हिसाब से सूची भी मंगवा ली थी।

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बिहार- बंगाल की जिम्मेदारी पर सबकी नजर
नड्डा की नई टीम नए और पुराने कद्दावर अनुभवी नेताओं की मिलीजुली टीम होगी। जिन महासचिवों के पास चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी है उनको नड्डा नहीं बदलेंगे। लिहाजा बिहार में प्रभारी महामंत्री भूपेंद्र यादव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय नड्डा की नई टीम में भी शामिल रहेंगे।

चुनाव वाले राज्य जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश समेत सात राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में नड्डा इन राज्यों के कुछ नए चेहरों को राष्ट्रीय टीम में मौका देंगे। इसके अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पुराने नेताओं को नई राष्ट्रीय टीम में जगह मिल सकती है।

जानकारी के मुताबिक नड्डा पार्टी के पूरी टीम की घोषण करेंगे, जिसमें महासचिव, सचिव, उपाध्यक्ष, मोर्चा के अध्यक्ष और मीडिया टीम समेत बाकी विभागों के प्रभारी होंगे। सबसे ज्यादा नजर महासचिवों की टीम और पार्टी की नीति निर्धारण इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड पर रहेगी। महासचिवों में कुछ ही बने रहेंगे। बाकी जगहों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है। वहीं पार्लियामेंट्री बोर्ड में कई जगह खाली पड़े हैं। अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार के निधन के बाद ये तीनों जगह पहले से खाली हैं।

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इसके अलावा वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उनकी भी जगह पार्लियामेंट्री बोर्ड में खाली है। महिला सदस्य के तौर पर सुषमा स्वराज की जगह किसी तेज तर्रार महिला नेता को इस टीम में शामिल किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का नाम इस रेस में आगे है। इसके अलावा कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी पार्लियामेंट्री बोर्ड में शामिल किया जा सकता है।

फडणवीस को संसदीय बोर्ड में मिल सकती है एंट्री
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से ही बोर्ड में हैं। साथ ही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को पार्टी ने पहले ही उपाध्यक्ष बना दिया था। ऐसे में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संसदीय बोर्ड के सदस्य बनाये जा सकते हैं। कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोर्ड में शामिल किया जा सकता है। गौरतलब है कि पहले कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव और फिर कोरोना की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा अपनी टीम नहीं बना पा रहे थे। लेकिन अब वो कोरोना राहत के लिए देश भर के कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के साथ साथ संगठन विस्तार को भी अंतिम रूप दे रहे हैं।

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टीम चुनने में रहेगा ध्यान, विपक्ष से कैसे छिना जाए राज्य
नड्डा को अपनी टीम का गठन आगे आने वाले समय में राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर करना होगा। एक तरफ नड्डा के सामने भाजपा शासित राज्यों में पार्टी की सत्ता को बरकरार रखने की चुनौती है तो दूसरी तरफ विपक्ष से राज्यों को छीनने की बड़ी चुनौती है। जेपी नड्डा (JP Nadda) के सामने 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। ऐसे में संगठन फेरबदल में उत्तर प्रदेश का खास ख्याल रखा जाएगा। यूपी के कोटे से दो से तीन नेताओं को नेशनल सेक्रेटरी बनाया जा सकता हैं।

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नड्डा के लिए बिहार की परीक्षा पास करना कितना आसान
नई केंद्रीय टीम के साथ जेपी नड्डा (JP Nadda) बिहार चुनाव की परीक्षा में उतरेंगे। हालांकि माना जा रहा है कि इस परीक्षा में नड्डा को बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह जैसी चुनौती का सामना नहीं करना होगा। इस बार बिहार में विपक्ष जहां तितर-बितर है, वहीं एनडीए खेमा पूरी तरह से एकजुट और मुश्तैद दिख रहा है। 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की जोड़ी से था, लेकिन इस बार इन दोनों में कोई भी सामने नहीं होगा। लालू यादव जहां जेल में सजा काट रहे हैं, वहीं सुशासन की छवि वाले नीतीश कुमार खुद बीजेपी के साथ हैं।

2015 के चुनाव को कवर करने वाले रिपोर्टर बताते हैं कि केंद्रीय सर्वेक्षण में बीजेपी को अनुमान था कि वह बड़ी जीत दर्ज करेगी, लेकिन चुनाव प्रक्रिया के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आरक्षण पर दिए गए एक बयान को लालू-नीतीश की जोड़ी ने अपने पक्ष में भुना लिया था।

बिहार की धरती के रग-रग से वाकिफ है नड्डा
जेपी नड्डा (JP Nadda) यूं तो हिमाचल प्रदेश से आते हैं, लेकिन वे बिहार की धरती से रग-रग से वाकिफ हैं। नड्डा की पढ़ाई लिखाई बिहार से ही हुई है। पटना के संतजेवियर स्कूल से 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद जेपी नड्डा (JP Nadda) समस्तीपुर में बीजेपी के यूथ विंग की तरफ से प्रचार में जुट गए थे। उनकी आगे की शिक्षा भी पटना विश्वविद्यालय से ही हुई है। इस वजह से नड्डा को बिहार के लोगों का मूड समझने में मुश्किल होने की कम ही गुंजाइश दिखती है। हालांकि चुनाव के बारे में केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है, आखिरी परिणाम जनता के हाथों में होता है।

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