बिहार: महागठबंधन को बचा पाएंगी सोनिया?

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पटना
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) आज अपना 5वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है। पार्टी प्रमुख जीतन राम मांझी दिल्ली में हैं और दिल्ली से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सोनिया गांधी के साथ महागठबंधन की बैठक में शामिल होंगे। बड़ा सवाल यह है कि तेजस्वी के नेतृत्व से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक बार फिर पाला बदलने को तैयार हैं। क्या लोकसभा चुनाव के पहले NDA छोड़ महागठबंधन में जाने वाले मांझी की विधानसभा चुनाव के पहले महागठबंधन छोड़ NDA में वापसी हो सकती है।

महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग
दरअसल, जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी के गठन की तारीख 25 जून तय की है। मांझी ने कहा है कि अगर डेडलाइन तक महागठबंधन में कोआर्डिनेशन कमेटी का गठन नहीं होता है तो वो अपना अगला कदम बढ़ाएंगे। बता दें कि महागठबंधन में नाराज चल रहे ने मंगलवार को कांग्रेसी नेता अहमद पटेल के साथ मलाकात कर महागठबंधन के विषय में पूरी जानकारी दी थी। इसके बाद कांग्रेस कांग्रेस अध्य़क्ष सोनिया गांधी ने महागठबंधन को बचाने के लिए कमान संभाल लिया है।

आज शाम 4 बजे होगी महागठबंधन की बैठक
बिहार महागठबंधन को बचाने की कवायद में जुटी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बुधवार को बिहार महागठबंधन में शामिल सभी दल के प्रमुख से बात करेंगी। आज की बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सोनिया गांधी के साथ बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी भी शामिल होंगे।

कांग्रेस भी उठा चुकी है तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल
कुछ दिन पहले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के आवास पर कांग्रेसी नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह साफ तौर पर कहा था कि बिहार विधान सभा चुनाव 2020 में कांग्रेस को कम से कम 100 सीटें मिलनी चाहिए। इसके पिछे तर्क यह दिया गया था कि इस बार जेडीयू साथ नहीं है और 2014 में 40 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी।

इसके अलावा इस बैठक में यह भी मांग की गई थी कि महागठबंधन के सभी घटक को 2020 का चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ना चाहिए। यानी कांग्रसी नेताओं के इस बैठक का सार निकाला जाए तो स्पष्ट जान पड़ता है कि कांग्रेसी नेताओं को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर विश्वास नहीं है।

महागठबंधन की बैठक का क्या है मकसद
एक प्रकार से देखा जाए तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक कर महागठबंधन के भीतर चल रहे सभी गतिरोध को दूर करना चाहतीं हैं। क्योंकि को लेकर सभी दलों ने अपने-अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे में महागठबंधन की प्राथमिकता होगी कि आंतरिक कलह को दूर किया जाए और पूरी ताकत से बिहार विधान सभा चुनाव में एनडीए को पटखनी दी जाए। हालांकि सोनिया के साथ बैठक करने के बाद महागठबंधन में शामिल दलों के नेता क्या फैसला लेते है यह देखने वाली बात होगी।

विकासशील इंसान पार्टी महागठबंधन के पक्ष में
विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी का कहना है कि महागठबंधन में किसी स्तर पर भी बिखराव नहीं है और महागठबंधन अटूट है। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव महागठबंधन के सर्वमान्य नेता हैं, उनके द्वारा जो भी मार्गदर्शन एवं दिशा निर्देश होगा, महागठबंधन के सभी घटक दल सहर्ष स्वीकार करेंगे।

सहनी ने यह भी कहा कि विधानसभा सीटों के बंटवारे के मामले में या मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के चेहरे के मामले में भी लालू प्रसाद यादव ही अधिकृत हैं। विधानसभा सीटों का बंटवारा समय रहते सम्मानजनक ढंग से महागठबंधन के सभी घटक दलों के बीच कर दिया जाएगा। महागठबंधन के विचारधारा से मिलते जुलते कई पार्टियां हैं, जिनका लक्ष्य ही एनडीए को हराना हैं।ऐसे लोगों को हम महागठबंधन में स्वागत करेंगे।

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