सुकमा : हिन्दू परंपरा के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व भाई का बहन के प्रति रक्षा का वचन एवं बहन का भाई के प्रति आत्मविश्वास एवं प्रेम की भावना को दर्शाता है। हर बहन की इच्छा रहती है कि वेs अपने भाईयों की कलाई पर सुदंर और मनमोहक राखियाँ सजाएं। बाजार में भी कई वैराइटी की राखियाँ उपलब्ध हैं, किन्तु कुछ बहनें अपने भाईयों को स्वयं के द्वारा बनाई गई राखी बांधनेे को आतुर होती हैं। आखिर हो भी क्यों ना, वह राखी अपने भाई के प्रति उनके प्रेम भाव की स्मृति जो होती है। आज के दौर में पारंपरिक और हस्त निर्मित राखियों की मांग भी अधिक रहती है। इसी अवसर को देखते हुए जिले के छिन्दगढ़ विकासखण्ड के ग्राम चिपुरपाल की श्रीमती मालती सेठिया ने परंपरागत हस्त निर्मित राखियां बनाना प्रारंभ किया है।
उन्होंने बताया कि उनका परिवार पारंपरिक तौर पर छिंद की पत्तियों से मऊर बनाने का कार्य करते हैं। यह उनका पारंपरिक पेशा है। श्रीमती मालती ने बताया कि शादी के मौसम में ही मऊर बनाने की मांग की जाती है जिससे सिर्फ शादी के दिनों पर ही आमदनी प्राप्त होती है। कृषि विज्ञान केन्द्र सुकमा के मार्गदर्शन में उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार को देखते हुए छिन्द के पत्तों को बेहतर रुप देकर राखी में तब्दील किया। छिन्द के पत्तों से निर्मित यह राखियां देखने में बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है। उन्होंने बताया कि इस रक्षाबंधन वैकल्पिक पेशा के तौर पर राखियां बनाई गई है, बाजार में राखियों की मांग होने पर आगामी वर्ष समूह के माध्यम से अधिक मात्रा में राखियां बनाई जाएगी। जिससे स्थानीय लोगों के लिए प्राकृतिक और हस्तनिर्मित राखियां आसानी से बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। इस वर्ष सुकमा वासियों को छिन्द के पत्तों से निर्मित बेहतरीन और मनमोहक राखियां स्थानीय बाजार में उपलब्ध होंगी।
जिला कार्यालय में विगत दिवस श्रीमती मालती के द्वारा सुन्दर सुसज्जित राखियों का स्टॉल लगाया गया था।
कलेक्टर ने की प्रसंशा
कलेक्टर विनीत नन्दनवार को छिंद के पत्तियों से निर्मित मनमोहक राखियां और गुलदस्ता भेंट किया। उन्होंने श्रीमती मालती की सराहना की और आगामी वर्ष में समूह से जुड़कर अधिक मात्रा में राखियां बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर जिला स्तरीय अधिकारीगणों ने भी राखियां खरीदी।
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