मंत्रालय ने शुक्रवार को सभी विदेशी कोचों के अनुबंध को अगले साल 30 सितंबर तक बढ़ने का फैसला किया जिसके बाद यह घोषणा की गई। इसके साथ ही ओलिंपिक से तालमेल बैठाते हुए अब भारतीय और विदेशी कोच को चार साल के लिए चुनने का फैसला किया गया।
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खेल मंत्री ने यहां जारी बयान में कहा, ‘कई भारतीय कोच बहुत अच्छे परिणाम दे रहे हैं और उन्हें कड़ी मेहनत के लिए पुरस्कृत करने की आवश्यकता है। सरकार देश भर से सर्वश्रेष्ठ कोचिंग प्रतिभाओं को आकर्षित करने की इच्छुक है। एलीट ऐथलीटों को प्रशिक्षित करने के लिए हम नहीं चाहते हैं कि कोच के लिए वेतन की सीमा कोई रुकावट बने।’
मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि पूर्व दिग्गज ऐथलीटों को खेल तंत्र में आकर्षित करने के लिए बढ़ी हुई सैलरी और लंबी अनुबंध अवधि की पेशकश की जाएगी। इसका मकसद ओलिंपिक सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए क्वॉलिफाइ करने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षित करने के लिए उनके अनुभव और कौशल का उपयोग करना है।
पहले से अलग-अलग पीएसयू में काम करने वाले प्रख्यात कोचों को प्रतिनियुक्ति पर जुड़ने और चार साल के अनुबंध के साथ-साथ हाई सैलरी के लिए पात्र होने की अनुमति दी जाएगी। कोचों के पारिश्रमिक का निर्धारण पूर्व-एलीट वर्ग के एथलीट के प्रदर्शन और कोच के तौर पर उसकी सफलता पर अधारित होगा।
मंत्रालय के बयान के मुताबिक, ‘सभी नए कोच और मौजूदा कोच जिन्हें नया अनुबंध दिया गया है, वे राष्ट्रीय शिविर और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे जिनका चयन खेल मंत्रालय और राष्ट्रीय खेल संघों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।’
इस कदम का स्वागत करते हुए बैडमिंटन के राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा, ‘यह लंबे समय से खेल बिरादरी की मांग रही है। मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं क्योंकि यह कई प्रतिभाशाली प्रशिक्षकों और पूर्व दिग्गज ऐथलीटों को इस पेशे में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करेगा।’ खेल मंत्रालय 2028 ओलिंपिक को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 महमारी के खत्म होने के बाद जमीनी स्तर की प्रतिभा खोजना फिर से शुरू करेगा।