भारत-चीन के बीच बातचीत में फंसा है ये पेंच

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नई दिल्ली ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर गतिरोध खत्म करने के लिए मंगलवार को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग सकारात्मक माहौल में तो हुई लेकिन इसमें कोई सहमति नहीं बन पाई। भारत और चीन दोनों पक्षों की तरफ से चरणबद्ध तरीके से तनाव कम करने की जरूरत पर जोर दिया गया। लेकिन किस तरह सैनिक पीछे होंगे और कितना पीछे होंगे इस पर कोई सहमति अभी नहीं बन पाई है। आगे भी बातचीत का सिलसिला जारी रहेगा। तब तक भारतीय सेना भी किसी तरह की कोई ढील नहीं देगी और पूरे पर सेना अलर्ट है।

12 घंटे चली तीसरे दौर की बातचीत :
मंगलवार को तीसरी बार कोर कमांडर स्तर की मीटिंग हुई जो करीब 12 घंटे चली। दोनों पक्षों ने इस पर सहमति जताई कि तनाव कम करने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, उन सभी इलाकों पर बात हुई जिनमें अभी तनाव बना हुआ है। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक 17 जून को भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत में भी कहा गया था कि एलएसी पर उत्पन्न हुई स्थिति को दोनों देश जिम्मेदारी से डील करेंगे।

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इसी के मुताबिक कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में भी बात हुई। दोनों पक्षों की तरफ से कहा गया कि 6 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में तनाव घटाने को लेकर जिन पॉइंट्स पर बात हुई उन्हें गंभीरता से लागू किया जाएगा। इसमें धीरे-धीरे सैनिकों की संख्या घटाने और उन्हें पीछे करने पर बात हुई। बातचीत से कोई तुरंत हल तो नहीं निकला लेकिन मीटिंग में दोनों पक्षों ने तनाव कम करने को लेकर अपना कमिटमेंट जताया।

गलवान पर सैद्धांतिक सहमति पर पैंगोंग पर अड़े
सूत्रों के मुताबिक, बातचीत में चीन ने मोटे तौर पर इस पर सहमति जताई कि गलवान और हॉट स्प्रिंग एरिया में चीनी सैनिक पीछे जाएंगे। यहां पर पट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) -14, पीपी-15 और पीपी-17 के पास काफी सैनिक जुटे हैं। मीटिंग में चीन इस पर तो राजी हुआ कि यहां से वह सैनिक पीछे करेगा लेकिन कब और किस तरह सैनिक पीछे होंगे और कितना पीछे होंगे इस पर अभी सहमति नहीं बनी है।

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लोकल कमांडर स्तर पर मीटिंग कर इसका खाका तैयार करना होगा कि एलएसी से सैनिक कितना पीछे होंगे। इसी पर बात अटकी है। सूत्रों के मुताबिक, चीन पैंगोंग त्सो एरिया में पीछे जाने को तैयार नहीं है। यहां तनाव कम करने के किसी फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पूरे ईस्टर्न लद्दाख से तनाव एक साथ खत्म होगा, ऐसा नहीं लगता। मुमकिन है कि कुछ जगहों पर सैनिकों के पीछे जाने पर सहमति बन जाए लेकिन पैंगोंग में यह अभी मुश्किल लग रहा है।

12 घंटे की लंबी बातचीत के बावजूद यह तय नहीं हो पाया कि दोनों देशों के सैनिक मौजूदा जगह से कितना पीछे जाएंगे क्योंकि दोनों पक्षों की अपनी अपनी शर्त है। सूत्रों के मुताबिक, चीन और भारत दोनों ही लंबे गतिरोध के लिए तैयार हैं। अक्टूबर में जब सर्दियां शुरू होंगी तब दोनों देशों के सैनिकों के लिए रहना मुश्किल होगा और तब हो सकता है कि सैनिकों को पीछे किया जाए।

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