इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है सिनेमा इंडस्ट्रीपूरे देश में लगभग 9600 स्क्रीन हैं जो पूरी तरह से बंद हैं। सरकार लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग पर जोर दे रही हैं, ऐसे में हाल-फिलहाल सिनेमाघरों के जल्द दोबारा खुलने की कोई उम्मीद नहीं है। वैसे भी माना जा रहा है कि दोबारा खोलने पर भी दर्शकों के लौटने में काफी वक्त लग सकता है। भारत में मल्टीप्लेक्स चेन चलाने वाली इनॉक्स लीजर के सीईओ आलोक टंडन का कहना है कि कोरोना वायरस के कारण सिनेमा इंडस्ट्री अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
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किराया देने तक को नहीं हैं पैसे
मल्टीप्लेक्स असोसिएशन ऑफ इंडिया ने लॉकडाउन के पीरियड में पूरी तरह किराया और बिल्डिंग के मेंटेनेंस चार्ज माफ करने के लिए कहा है। मल्टीप्लेक्स मालिकों के पास इस समय इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे अपने कर्मचारियों को तनख्वाह तक दे सकें। सिनेमाघर मालिक अपने स्टाफ को निकाल भी नहीं सकते हैं क्योंकि रखरखाव के लिए उनका रहना जरूरी भी है।
प्रड्यूसर-स्टूडियो सिनेमाघरों से जा सकते हैं दूर
लंबे समय तक सिनेमाघरों के बंद रहने के कारण प्रड्यूसर्स, ऐक्टर्स और स्टूडियो अपनी फिल्में ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स, सैटलाइट चैनल्स या डीवीडी पर रिलीज करने पर भी विचार कर रहे हैं। हालांकि सिनेमाघर मालिकों ने उनसे ऐसा नहीं करने की अपील की है क्योंकि ऐसा करने से सिनेमाघर इंडस्ट्री पूरी तरह तबाह भी हो सकती है। साथ ही इससे हजारों-लाखों लोगों के रोजगार भी छिन जाएंगे। दरअसल सिनेमाघरों के बंद होने का सीधा फर्क देश की शॉपिंग मॉल कल्चर पर भी पड़ेगा जिससे बड़े स्तर पर लोगों के रोजगार जाने की आशंका है।
सुरक्षा और दूरी के नए नियम होंगे तैयार
यूरोप, अमेरिका और चीन में सीमित संख्या में थिअटर्स को खोला भी गया है। हालांकि वहां लोग नहीं पहुंच रहे हैं लेकिन फिर भी विदेशी थिअटर्स असोसिएशन के साथ संपर्क में रहते हुए भारतीय सिनेमाघर मालिक दर्शकों की सुरक्षा को देखते हुए कुछ खास नियम बना सकते हैं। इसके लिए साफ-सफाई के साथ ही लोगों के बीच दूरी बनाए रखने पर विशेष ध्यान देना होगा। सिनेमाघरों में सैनिटाइजर, हाइजीन किट्स, ऑनलाइन लेन-देन और लोगों के बीच दूरी को सख्ती से लागू किया जा सकता है।
हाथ में हाथ डाले नहीं देख सकेंगे मूवी?
माना जा रहा है कि नए नियमों के तहत एक दर्शक के आगे-पीछे और दोनों तरफ की सीटें खाली रखी रखी जाएंगी ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन हो। ऑनलाइन बुकिंग में सीटें भी इसी हिसाब से अलॉट होंगी। शो के बीच में अंतर रखना, इंटरवल और फिल्म खत्म होने के बाद लोगों को इकट्ठे होने से रोकने और खाने-पीने की चीजें मशीनों से सप्लाई किए जाने के भी उपाय किए जा सकते हैं। हालांकि यह सब लागू करना कठिन होगा क्योंकि सिंगल स्क्रीन में बैठने की यह व्यवस्था लागू की जा सकती है लेकिन मल्टीप्लेक्स में ऐसा मुश्किल होगा। इतना तो तय है कि कोरोना के बाद दर्शकों का सिनेमा देखने का एक्सपीरियंस पूरी तरह बदल सकता है।
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