शर्मा ने कहा कि एनबीए इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से व्यक्त की गई चिंताओं की सराहना करता है जिसके बाद दोनों खबरिया चैनलों पर से रोक को वापस लिया गया। शनिवार देर शाम जारी बयान में कहा गया है, ‘एनबीए मांग करता है कि मंत्री इस बात की जांच कराएं कि उनकी मंजूरी के बिना समाचार चैनलों का प्रसारण रोकने का आदेश कैसे जारी किया गया।’
इसमें कहा गया है, ‘एनबीए चाहता है कि जांच रिपोर्ट उसके साथ साझा की जाए।’ बयान में कहा गया है कि एनबीए का मानना है कि खबरों के प्रसारण को लेकर सभी शिकायतें समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (एनबीएसए) को भेजी जाएं ताकि भविष्य में एक जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
एनबीएसए के प्रमुख उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए के सीकरी हैं। उत्तर पूर्वी दिल्ली में पिछले महीने हुई सांप्रदायिक हिंसा की कवरेज के दौरान ‘एक समुदाय का पक्ष लेने’ और पुलिस और आरएसएस को लेकर आलोचनात्मक रवैया अख्तियार करने के आरोप में दो प्रमुख मलयालम चैनलों पर 48 घंटे की रोक लगाई गई थी जिसके लागू होने के कुछ घंटे बाद ही केंद्र सरकार ने इसे रद्द कर दिया था।जावड़ेकर ने कहा शनिवार को कहा था कि मोदी ने पूरी घटना पर चिंता व्यक्त की है और सरकार प्रेस की आजादी का समर्थन करती है।