विकास का वैकल्पिक मॉडल मौजूदा वक्त की ज़रूरत – आदित्य भगत, सह अध्यक्ष- इंडिया-जापान फाउण्डेशन
इंडिया-जापान फाउण्डेशन के चेयरमैन विभवकांत उपाध्याय छत्तीसगढ़ प्रवास पर हैं
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल से मुलाकात के दौरान खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, इंडिया-जापान फाउण्डेशन के चेयरमेन श्री विभवकांत उपाध्याय व सह अध्यक्ष आदित्य भगत ने कल विकास के वैकल्पिक मॉडल पर चर्चा की। इस दौरान उन्होंने इंडिया-जापान वैश्विक साझेदारी और छत्तीसगढ़ की भूमिका विषय पर विस्तार से चर्चा की। विशेषकर स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कृषि और कौशल विकास के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ की साझेदारी और इस संबंध में मसौदा तैयार करने पर विचार-विमर्श हुआ। विभवकांत उपाध्याय ने इस दौरान नरवा-गरवा-घुरूवा-बारी योजना की मुक्तकंठ से तारीफ की। छत्तीसगढ़ सरकार की यह बेहद महत्वांकाक्षी परियोजना है। इसके तहत छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक परंपरा व पहचान को अक्षुण्ण रखते हुए प्रदेश के विकास पर जोर दिया गया है। इतना ही नहीं कृषि के पारंपरिक तरीकों और पशुपालन को भी नरवा-गरूवा-घुरूवा-बारी योजना ने नया आयाम दिया है।
एनएसयूआई के महासचिव व इंडिया-जापान फाउण्डेशन उपाध्यक्ष ने कहा कि विकास का वैकल्पिक मॉडल मौजूदा वक्त की ज़रूरत है। उनका कहना है विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुंचा है। विकास की
इस दौड़ में आदिवासियों को लगातार नज़रअंदाज़ किया गया है। विकास के वैकल्पिक मॉडल में आदिवासियों की भूमिका सबसे ऊपर होगी, जो पर्यावरण के वास्तविक संरक्षक हैं। उल्लेखनीय है कि आदिवासी प्रकृति के आराधक होते हैं, इसलिये वे इसे सहेजकर रखते हैं।
आदित्य भगत का मानना है कि विकास का वैकल्पिक मॉडल स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कृषि और कौशल विकास के क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन लाएगा। विकास के वैकल्पिक मॉडल के ज़रिये आदिवासियों के उत्थान और पर्यावरण संरक्षण के लिये इंडिया-जापान फाउंडेशन वैश्विक स्तर पर प्रयास कर रहा है। गौरतलब है कि एनएसयूआई छत्तीसगढ़ के प्रदेश महासचिव आदित्य भगत इंडिया-जापान फाउण्डेशन के सह अध्यक्ष हैं। वे इस युगांतरकारी मुहिम में इंडिया-जापान फाउंडेशन के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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