मंदिर का क्या प्लान? ट्रस्ट के इकलौते संत से मिलें

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वीएन दास, अयोध्या
केंद्र सरकार के राम मंदिर ट्रस्ट और इसके 15 सदस्यों के ऐलान के बाद से अयोध्या में हलचल तेज है। के 9 प्रमुख सदस्यों में से निर्मोही अखाड़ा के भी हैं जिनको मंदिर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट से फैसले में ट्रस्ट में जिम्मेदारी का स्थान देने का निर्देश दिया है। महंत दिनेंद्र दास ट्रस्ट में जगह पाने वाले अयोध्या के एकमात्र संत भी हैं जिनसे
एनबीटी ने उनकी नई भूमिका को लेकर बात की।
पेश हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश

बता दें कि 10 साल की उम्र से साधु समाज में शामिल दिनेंद्र दास इस समय अयोध्या के निर्मोही अखाड़ा के महंत हैं और मंदिर का निर्माण करवाने वाले ट्रस्ट के ट्रस्टी भी।

सवाल- आप अयोध्या के ट्रस्टियों में इकलौते संत हैं जिनको श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में जगह मिली है लेकिन खबर यह आई कि आप को ट्रस्ट की बैठकों में वोट देने का अधिकार नहीं रहेगा। क्या कहना है?

जवाब – अगर ऐसा होता तो ट्रस्ट में रखने से मेरा सम्मान नहीं अपमान होता लेकिन यह गलत प्रचार हुआ। ट्रस्ट के नोटिफिकेशन में यह बात साफ तौर पर कही गई है कि निर्मोही अखाड़ा के प्रतिनिधि को ट्रस्ट की बैठक में वोट देने का अधिकार रहेगा। अब ट्रस्ट के सभी सदस्य एक मत होकर निर्णय करेंगे। किसी के बीच कोई मतभेद नहीं है।

सवाल- कब तक ट्रस्ट की बैठक होगी ? आप के कौन से सुझाव रहेंगे ?

जवाब- अभी तो केंद्रीय गृह मंत्रालय को ट्रस्टियों की स्वीकृति के पत्र पर हस्ताक्षर करवा कर भेजा गया है। बैठक की कोई सूचना नहीं मिली है लेकिन बताया जा रहर है कि करीब 10 दिन के बीच बैठक की सूचना आ जाएगी। अब प्रभु राम के काम में कोई विलंब नहीं करना चाहता।

सवाल- अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास को ट्रस्ट में न शामिल करने से यहां के संत नाराज हैं। आप की राय इस पर क्या है?

जवाब- मंदिर का निर्माण वर्षों से कानूनी लड़ाई में फंसा था, अब विवाद पूरी तरह से खत्म है। 70 एकड़ जमीन भव्य मंदिर के निर्माण के लिए सरकार से मिल गई है। यह प्रभु का काम है इसमे नाराजगी का सवाल ही नहीं उठना चाहिए। सभी ट्रस्टी मिलकर काम करेंगे। महंत नृत्य गोपाल दास को भी ट्रस्ट में शामिल कर लिया जाएगा। राम मंदिर के निर्माण को लेकर सारे संत आपसी भेदभाव भुला कर एक हो गए हैं।

सवाल- आप का तो पहले वीएचपी से विरोध था। अब क्या वीएचपी के मंदिर मॉडल के मुताबिक मंदिर निर्माण की सहमति देंगे?

जवाब- राम जी का काम है। इसमें सारे मतभेद खत्म। अब वीएचपी मॉडल और कार्यशाला में तराश कर रखे गए पत्थरों से मंदिर बने इसमें हमें कोई ऐतराज नहीं है। अब ट्रस्ट के सदस्य जो तय करेंगे उस पर मेरी मुहर है।

सवाल- मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन 24 किमी दूर सोहवल के धन्नीपुर गांव के पास दी गई है जिसको लेकर मुस्लिम पक्षकार असंतुष्ट हैं। इस पर क्या कहना चाहेंगे?

जवाब- वह इलाका भी अब अयोध्या जिले का ही हिस्सा है। अयोध्या का आकार अब वृहद होता जाएगा। इसमें इतनी दूरी बहुत कम है। वैसे भी अयोध्या शहर में कई मस्जिदें पहले से हैं। जहां जमीन दी गई है वह मुस्लिम बहुल इलाके में है। वहां कई मजारें और प्रसिद्ध मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं। वहां मस्जिद बनने से इसकी ज्यादा उपयोगिता साबित होगी। शायद इसीलिए ही वहां मस्जिद की जमीन का आवंटन किया गया है।

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