रायपुर। जहां कोरोना संकट के मद्देनजर शासन ने 14 अप्रैल से 3 मई तक लाकडाउन की अवधि बढ़ा दी है। वहीं इस संकट की घड़ी में शासन की अति महत्वाकांक्षी योजना ’नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी एवं मनरेगा’ जैसे रोजगारमूलक कार्य ग्रामीणों के लिये संजीवनी बूटी की तरह मददगार साबित हो रहे हैं और साथ ही लोगों के जीवन में नया उत्साह व आशा भरने का काम कर रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन के बीच राज्य सरकार द्वारा ग्रामीणों को रोजगार दिलाने, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करने और आर्थिक रूप से समर्थ बनाने के उद्देश्य से मनरेगा के तहत कार्य उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले के 137 ग्राम पंचायतों में 530 कार्य प्रगति पर है जिसमें 16 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा हैद्य यह कार्य सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा के निर्देशों का पालन करते हुए किया जा रहा है।
सुकमा जैसे संवेदनशील व बीहड़ क्षेत्र में लाॅकडाउन के दौरान ग्राम पंचायतों में आजीविका के साधन अत्यंत सीमित हो गये थे, लोगों के जहन में जहां रोजी-रोटी व परिवार के भविष्य की चिंताएं घर करने लगा था। वहां ऐसे में नरवा, गरवा, घुरवा, एवं बाड़ी तथा मनरेगा योजना के तहत् विभिन्न निर्माण कार्य प्रारंभ होने से गांव के लोगों की चिंताएं दूर हो रहीं है। मनरेगा में छोटे व गरीब तबके के लोगों को रोजी-रोटी के लिये सरल व सहज साधन मिल रहा है। मदद के रूप में ग्राम वासियों को आर्थिक सहारा मिल रहा है। जिले में लाॅकडाउन के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा सभी निजी श्रमिक कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है वहीं सामाजिक-अंतराल रखते हुये मनरेगा कार्यों को अनुमति दिया गया है। जिले के 153 में से 137 ग्राम पंचायतों में प्रतिदिन 530 कार्यों में 16 हजार से अधिक मजदूर कार्य कर रहे हैं। इस दौरान पंचायतों के सरपंच, पंच, सचिव व ग्राम रोजगार सहायकों द्वारा कार्य स्थल पर मजदूरों के बीच सामाजिक अंतराल बनाये रखने, कार्य के पूर्व व बाद में तथा खाना खाने से पूर्व साबुन से हाथ धुलाई, मास्क अथवा साफ कपड़े से मुंह ढंकने हेतु जागरूक करने के साथ-ही साथ आवश्यक सामग्री जैसे साबुन, मास्क, सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था की जा रही है। कोरोना वायरस से बचाव व रोकथाम हेतु शासन के निर्देशों का पालन किया जा रहा है। गांव में ही रोजगार मिलने व समय पर सतत् मजदूरी राशि मिलने से मजदूरों व ग्रामवासियों में खुशी की लहर है।
सुकमा जिले के तीनों जनपद पंचायतों सुकमा, कोंटा व छिंदगढ़ में मनरेगा अंतर्गत गांव के अंदर या नजदीक में ही व्यक्तिगत व रोजगार मूलक एवं अति-आवश्यक कार्यों जिससे बरसात के पूर्व पर्याप्त मात्रा में जल संचयन किया जा सके व आजीविका सृजित हों उनको प्राथमिकता देते हुये कराया जा रहा है। प्रमुख रूप से गौठान, नरवा , नाडेप, बाड़ी, डबरी, तालाब, आंगनबाड़ी, भूमि समतलीकरण, पशु-शेड, स्वसहायता समूहों के आजीविका संवर्धन हेतु विभिन्न संरंचनाएं, बाजार शेड, वन-धन केंद्र आदि निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस योजना से जुड़े लोगों को एक ओर जहां रोजगार के साथ अच्छी आमदनी हो रही है वहीं दूसरी ओर ग्राम वासियों के लिए आवश्यक मूलभूत सुविधाओं हेतु संरचनाएं निर्मित किये जा रहे हैं।
कलेक्टर चंदन कुमार के कुशल निर्देशन व मार्गदर्शन में तथा सीईओ जिला पंचायत श्री नूतन कुमार कंवर के योजनाबद्ध प्रयासों से कार्यों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जा रहा है। सभी पंचायतों में पर्याप्त मात्रा में कार्य स्वीकृत किये गये हैं तथा हितग्राहियों को घर के नजदीक या गांव में ही उनके घर के आस-पास जहां भी सहज व सुविधाजनक हो कार्य उपलब्ध कराया जा रहा है। जिले में 4000 नरवा उपचार, 2000 भूमि समतलीकरण, 1100 निजी डबरी, 380 तालाब, 80 गौठान, 700 नाडेप, 350 बाड़ी, 240 कुंआ, 400 पशु-शेड, 280 आंगनबाड़ी, आदि मिलाकर लगभग 9500 कार्य प्राथमिकता से किया जाना है। इसके लिये सभी पंचायतों में मजदूरों की पर्याप्त संख्या का निर्धारण कर सामाजिक अंतराल की आवश्यक व्यवस्था सहित निर्माण कार्य संपादित किये जा रहे हैं। गांव में ही समिति के माध्यम से समय पर नगद मजदूरी भुगतान किया जा रहा है। प्रतिदिन कार्यों की सतत् मानिटरिंग व रिर्पोटिंग की जा रही है। पिछले एक महीने से लाॅकडाउन के दौरान जिले को मजदूरी भुगतान हेतु लगभग 22 करोड़ रू. की राशि विभिन्न पंचायतों को प्राप्त हुई है जिसमें से लगभग 9 करोड़ की राशि का भुगतान हितग्राहियों को किया जा चुका है। शेष राशि भी प्रतिदिन पंचायतों द्वारा समिति के माध्यम से भुगतान की कार्यवाही की जा रही है।
मनरेगा निर्माण कार्य प्रारंभ होने से मजदूरों को गांव में ही रोजगार उपलब्ध होने के साथ-साथ गांवों के विकास कार्य भी पूर्ण हो रहें है। देखा जाये तो गांवों की तस्वीर निखर रही है। मजदूरी भुगतान से आर्थिक मदद मिल रहा है। इसीलिये प्रतिदिन बढ़ती संख्या में लोग कार्य करने आगे आ रहे हैं। पिछले एक महीने में लगभग 500 कार्य पूर्ण कर लिया गया है। वर्तमान समय में मनरेगा कार्य ग्रामीणों के जीवकोपार्जन के अति महत्वपूर्ण साधन बनकर उभरा है जिससे ग्रामीण रोजगार व आर्थिक दृष्टि से मजबूत हो रहे हैं। मनरेगा इस लॉकडाउन के समय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं मजदूरों के जीवन यापन का सहारा साबित हो रहा है।