इसके अलावा इनमें सबसे बड़ा नाम ‘टीम राहुल’ के सबसे सफल राजस्थान के उपमुख्यमंत्री का शामिल है, जिनकी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ नाराजगी जगजाहिर है। ऐसे में ये देखना अहम होगा की कांग्रेस इस संकट की घड़ी से कैसे उबरती है।
जब दिग्गी हुए वर्किंग कमिटी से बाहर
सिंधिया ने कमलनाथ-दिग्विजय सिंह की जोड़ी को बताने के लिए कि उन्हें उनकी जगह नहीं मिली है, उन्होंने लोकसभा हारने के 10 महीने के भीतर ही पार्टी छोड़ दी। इसके विपरीत, जब राहुल गांधी ने दिग्विजय को कांग्रेस वर्किंग कमेटी से बाहर कर दिया, तो उन्होंने कुछ नहीं किया, लेकिन मध्य प्रदेश में कांग्रेस को फिर से उभरने और राज करने के लिए नर्मदा के एक राजनीतिक परिक्रमा पर चले गए।
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वरिष्ठ नेताओं और युवाओं के बीच मतभेदों की जड़ें इंदिरा व संजय गांधी के समय से निकली, लेकिन बाद में राहुल गांधी के नेतृत्व छोड़ने के बाद भी उन्होंने छोड़ने और छटपटाने के तरीके अपनाए। संयोग से, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, कांग्रेस को हराने से पहले अपनी ही पार्टी के दिग्गज प्रतिद्वंद्वियों को मात देकर अपना नेतृत्व स्थापित किया।