बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा ने कहा कि इतनी चुनौती पूर्ण केस मेरे जीवन में पहले कभी नहीं आया था। मेरी नौकरी को एक साल बचा है। लेकिन यह केस मेरे जिंदगी में एक नया मोड़ लाया। मैंने देखा कि कैसे एक मुस्कराते चेहरे को मौत के बाद बदनाम करने की कोशिश की गई। उसको न्याय दिलाने के लिए जो भी खड़ा हुआ चाहे वो सुशांत के पिता तो चाहे उसकी बहन या कोई और उसका चरित्रहनन करने की कोशिश की गई।
सुशांत के चाहनेवालों को डीजीपी ने दिया संदेश
बिहार के डीजीपी ने सुशांत के चाहनेवालों को सन्देश देते हुए कहा, “चल पड़ा है कारवां तो बीच में रुकना मना है, विघ्न पथ को लांघना है, हारना रुकना मना है।” इससे पहले डीजीपी पांडे ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं। ये अन्याय के विरुद्ध न्याय की जीत है। यह 130 करोड़ लोगों की भावनाओं की जीत है। इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट के लिए और भी सम्मान बढ़ेगा। अब लोगों को उम्मीद जगी है कि में निश्चित रूप से न्याय होगा।
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गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि हम लोगों पर आरोप लगाए जा रहे थे कि आपने क्यों केस किया। हमें अनुसंधान करने नहीं दिया जा रहा था। हमने अपने आईपीएस अफसर को भेजा तो उसे कैदी की तरह रात 12 बजे क्वारंटीन कर दिया गया। उसी से लग रहा था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है। हमने जो भी काम किया, वह कानूनी और संवैधानिक रूप से सही किया। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर मुहर लगा दी है। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे धीरज के साथ इंतजार करें।
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