मौत के मुंह से यूं बचे 21 मासूम, पूरी कहानी

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हिमांशु तिवारी, फर्रुखाबाद
के फर्रुखाबाद के करथिया गांव में बंधक बनाए गए 21 मासूमों को शुक्रवार आधी रात पुलिस कार्रवाई के बाद सकुशल छुड़ा लिया गया। करीब 11 घंटे तक चले इस बंधक संकट के सूत्रधार सुभाष बाथम को पुलिस ने रात करीब 1 बजे मार गिराया, जबकि उसकी पत्नी को आक्रोशित ग्रामीणों ने पीटकर मार डाला। सुभाष ने जन्मदिन मनाने के बहाने 21 बच्चों को दोपहर के वक्त बंधक बना लिया था। उसने समझाने आए एक ग्रामीण के पैर पर गोली मार दी थी। फर्रुखाबाद के एएसपी त्रिभुवन के मुताबिक कार्रवाई के दौरान सुभाष ने देसी बमों से पुलिस पर हमला किया।
एनबीटी ऑनलाइन ने पूरे घटनाक्रम को फर्रुखाबाद के एएसपी त्रिभुवन सिंह से जानने की कोशिश की।

फर्रुखाबाद एसपी डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया, ‘सुभाष बाथम अपने घर के मुख्य दरवाजे के छेद से फायरिंग कर रहा था। उसने एक तार से बम को कनेक्ट कर रखा था। जब यह धमाका हुआ तो नजदीक की एक दीवार भी ढह गई थी। पुलिस टीम मकान के पिछले दरवाजे से घर के अंदर दाखिल हुई थी। फिर सुभाष फायरिंग करते हुए बाहर की तरफ भागने लगा। उसके साथ पत्नी रूबी भी थी। बाहर भीड़ ने उनकी पिटाई की। क्रॉस फायरिंग में सुभाष और भीड़ की पिटाई वजह से रूबी की मौत हो गई।’


दोपहर 2:00 बजे: सुभाष बाथम नाम के शख्स ने अपनी बिटिया के जन्मदिन की बात कहकर गांव के बच्चों को घर बुलाया। उसने अपने घर में बने बेसमेंट में सभी बच्चों को बंद कर दिया था। वहां पर उसने हथियार रखे थे। उसने बच्चों को धमकी दी थी कि यदि वे चुप नहीं रहे तो वह उन्हें बम से उड़ा देगा।

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शाम 4:00 बजे: बच्चे वापस नहीं लौटे तो मासूमों के परिवारवालों ने सुभाष बाथम के घर का रुख किया। यहां जब लोग पहुंचे तो सुभाष ने उन पर फायरिंग कर दी। फिर ग्रामीणों ने आनन-फानन डायल 112 को फोन कर मामले की सूचना दी। पीआरवी से मौके पर दीवान पहुंचा, उसने सुभाष बाथम से बात करने की कोशिश की लेकिन पुलिसकर्मी पर भी शख्स ने हमला कर दिया। दीवान ने आनन-फानन मोहम्मदाबाद कोतवाली के इन्स्पेक्टर राकेश को जानकारी दी। वह भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बात करने की कोशिश की तो सुभाष ने कहा, ‘रुको मैं तुम्हें बताता हूं। इसने अंदर से ही विस्फोट कर दिया। यह देख सबके होश फाख्ता हो गए।’ इस धमाके में इन्स्पेक्टर और दीवान घायल हो गया।

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शाम 6:00 बजे: पुलिस अधिकारी दलबल के साथ मौके पर पहुंचे। यहां पर गांव वालों से पता लगाया गया कि कितने बच्चे हैं। पुलिस अधिकारियों को पता चला कि 21 बच्चों को बंधक बनाया गया है। यह स्थिति पुलिस के लिए भी गंभीर बनती जा रही थी। पुलिस ने सुभाष के एक दोस्त को उससे बातचीत करने के लिए भेजा। सुभाष ने अपने दोस्त पर भी गोली चला दी। पुलिस को स्थिति बेकाबू होती नजर आई, जिसके बाद एटीएस की मदद मांगी गई।

शाम 7: 30 बजे: एटीएस टीम लखनऊ से फर्रुखाबाद के लिए रवाना हो चुकी थी। फर्रुखाबाद में पुलिस अधिकारी हमलावर बाथम को व्यस्त रखने की कोशिश कर रहे थे ताकि बच्चों को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुंचे। सुभाष ने पुलिसकर्मियों से बिस्किट वगैरह भी मांगे, जो कि उसे उपलब्ध कराया गया।


रात 9:00 बजे:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आपात बैठक बुलाई। इसमें मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर और गृह विभाग के प्रमुख सचिव भी शामिल हुए। अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि बच्चों को सुरक्षित छुड़वाया जाए। योगी ने फर्रुखाबाद के अधिकारियों से भी बातचीत की और पुलिस अफसरों को फटकार लगाई।

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रात 11:00 बजे: सुभाष से जब बातचीत की गई तो उसने अपनी पत्नी और एक 2 साल के बच्चे को घर से बाहर भेजा। सुभाष की पत्नी हाथ में एक पत्र लिए थी। सुभाष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर और टॉइलट जैसी सहूलियतें देने से अधिकारियों ने इनकार कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सुभाष ने पुलिस से मांग की कि स्थानीय विधायक को मौके पर बुलाया जाए।

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रात 1:00 बजे: एएसपी त्रिभुवन सिंह कहते हैं, ‘रात में लगभग 1 बजे तेज आवाजें आ रही थीं। एटीएस के पहुंचने से पहले ही पुलिस टीम घर के अंदर दाखिल हुई। आक्रोशित ग्रामीणों ने सुभाष बाथम के घर पर पथराव शुरू कर दिया था। पुलिस टीम ने कमरे में पहुंचकर सुभाष बाथम को ढेर कर दिया। इस दौरान सुभाष की पत्नी, जो कि उस पूर्व नियोजित योजना का हिस्सा थी, वह घर से बाहर निकली तो ग्रामीणों ने उसकी पिटाई कर दी। उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया।’

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