मौसम के उतार-चढ़ाव से फसलों में बढ़ सकती है बीमारी, कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को दी सलाह…

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सुकमा: कोरोनावायरस की संक्रमण को रोकने घोषित लाॅकडाउन का शासन द्वारा कृषि एवं कृषि से संबंधित कार्यों पर ढील देते हुए संक्रमण की रोकथाम हेतु जारी एडवाइजरी का पालन करते हुए कृषि कार्य करने की अनुमति प्रदान किया गया है। कृषि विज्ञान केंद्र सुकमा के वरिष्ठ वैज्ञानिक राजेंद्र प्रसाद कश्यप ने इस संबंध में किसानों को आवश्यक एवं उपयोगी जानकारी प्रदान की है। उन्होंने कहा कि इस संक्रमण की रोकथाम हेतु किसान एवं कृषि से संबंधित मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाकर कार्य करें एवं मुंह को गमछा या रुमाल से ढक कर काम करें। साथ ही हाथ में सैनिटाइजर लगाएं या बार-बार साबुन से हाथ को अच्छी तरह से धोएं। कृषि वैज्ञानिक कश्यप ने बताया कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेष को जलाने के बजाय उसमें वेस्ट डीकंपोजर का छिड़काव कर नष्ट करना चाहिए। फसलों की कटाई कार्य में मशीनों की सहायता ली जा सकती हैं।
उन्होंने बताया कि मौसम के उतार-चढ़ाव से सब्जियों एवं फलों में प्रकोप बढ़ने की आशंका है जिससे उत्पादन में विपरित प्रभाव पड़ सकता है। सब्जियों या फलों में किसी भी प्रकार के कीड़े या बीमारी का संक्रमण होने पर उन्होंने किसानों को तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र सुकमा से संपर्क करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि तापमान बढ़ने के साथ ही धनिया की फसल में पाउडरी मिल्डयू नामक बीमारी का प्रकोप बढ़ सकता है। इसके नियंत्रण के लिए घुलनशील गंधक 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 15 दिनों के अंतराल में छिड़काव करना चाहिए। इसी प्रकार सब्जियों में रस चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दे तो इसके नियंत्रण हेतु इमपीडकिलोप्रड दवा 1 से 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर 12 से 15 दिनों के अंतराल में छिड़काव करना चाहिए।

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