जायसवाल ने कहा, ‘ज्वाला सर (उनके मेंटोर) ने मुझे कहा था कि मुझे वहां से सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार लाना है। हमने उछाल भरी पिचों पर बल्लेबाजी का काफी अभ्यास किया था। हमने शॉर्ट गेंद खेलने का भी काफी अभ्यास किया था।’
मैन ऑफ द सीरिज का पुरस्कार अपने कोच के नाम करने वाले 18 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘मैं शॉर्ट गेंद को या तो खेल रहा था या छोड़ रहा था। एस्ट्रो टर्फ पर वैसा ही उछाल होता है जैसा वहां की पिचों पर, इसलिए मैंने एस्ट्रो टर्फ पिचों पर बल्लेबाजी का अभ्यास किया जिसका फायदा हुआ।’
भारतीय क्रिकेट के आने वाले समय में बड़े खिलाड़ी के तौर पर देखे जा रहे जायसवाल ने कहा कि टूर्नामेंट के दौरान उसने सीखा कि दवाब के क्षणों में कैसे बल्लेबाजी करनी है। उन्होंने कहा, ‘अलग-अलग देशों में खेलने का अनुभव शानदार रहा। यहां पिचें अलग तरह की थीं। मैंने मैच के साथ नेट अभ्यास के दौरान भी बल्लेबाजी का लुत्फ उठाया।’
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘मुझे खेल के दौरान दबाव से निपटने के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला क्योंकि ज्यादातर मैचों में दबाव था।’ जायसवाल ने टूर्नमेंट में 59 (श्रीलंका के खिलाफ), नाबाद 29 (जापान), 62 (ऑस्ट्रेलिया), नाबाद 105 (पाकिस्तान) और 88 (फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ) ने रन की पारियां खेलीं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ शतकीय पारी उनके करियर की ‘काफी अहम शतकीय पारी’ है। मुंबई में टेंट में रहने के साथ पानी-पूरी बेचकर गुजारा करने वाले जायसवाल ने इस मौके पर जूनियर टीम के मुख्य चयनकर्ता आशीष कपूर के प्रति आभार जताया जिन्होंने उन्हें पारी का आगज करने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, ‘अंडर-19 टीम के सभी चयनकर्ताओं ने मेरी मदद की। आशीष कपूर सर की वजह से मैंने पारी का अगाज करना शुरु किया। मैं सभी चयनकर्ताओं और कोचों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा।’
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