कर्नाटक की टीम मंगलवार को तीन विकेट पर 98 रन से आगे खेलने उतरी और टीम ने सुबह के सत्र में 16.3 ओवर में 79 रन जोड़कर बाकी बचे सात विकेट भी गंवा दिए। बंगाल ने अपना पिछला रणजी खिताब 1989-90 में सौरभ गांगुली के पदार्पण सत्र के दौरान जीता था जबकि टीम ने पिछली बार 2007 में फाइनल में जगह बनाई थी लेकिन फाइनल में उसे मुंबई ने 132 रन से हरा दिया था। फाइनल में बंगाल का सामना गुजरात और सौराष्ट्र के बीच राजकोट में चल रहे एक अन्य सेमीफाइनल के विजेता से होगा।
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फाइनल नौ मार्च से खेला जाएगा लेकिन बंगाल की टीम को यह मैच विपक्षी टीम के मैदान पर खेलना होगा। बंगाल ने साथ ही कर्नाटक को खिताब की तिकड़ी बनाने से भी रोक दिया। कर्नाटक ने हाल में घरेलू एकदिवसीय (विजय हजारे ट्रोफी) और टी20 टूर्नमेंट (सैयद मुश्ताक अली ट्रोफी) जीता था। टीम इससे पहले 2014-15 में लगातार दूसरी बार खिताबी तिकड़ी बनाने में सफल रही थी।
पेसर मुकेश ने दिन के तीसरे ओवर में ही मनीष पांडे (12) को श्रीवत्स गोस्वामी के हाथों विकेट के पीछे कैच कराया और फिर अगले ओवर में केवी सिद्धार्थ (00) और एस शरत (00) को लगातार गेंदों पर पविलियन भेजकर कर्नाटक की वापसी की उम्मीद खत्म की। तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे देवदत्त पडिक्कल ने 62 रन की पारी खेली लेकिन कर्नाटक को लगातार तीसरे साल सेमीफाइनल में हार से नहीं बचा पाए।
मुकेश ने उन्हें गोस्वामी के हाथों कैच कराके 21 प्रथम श्रेणी मैचों में चौथी बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट चटकाए। उन्होंने 129 गेंद की अपनी पारी में सात चौके मारे। इसके बाद कर्नाटक की पारी को सिमटने में अधिक समय नहीं लगा। बंगाल की ओर से मैच में सभी 20 विकेट तेज गेंदबाजों ने चटकाए।