इन राज्यों में कांग्रेस के पास उतने विधायक नहीं हैं जिनके दम पर वह अपने राज्यसभा उम्मीदवार उतार सके। हद तो यह हो गई कि हरियाणा में कांग्रेस के अंदर ही विवाद पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा पार्टी प्रत्याशी के तौर पर कुमारी शैलजा के समर्थन करना नहीं चाह रहे हैं।
बड़े बेआबरू होकर…
डीएमके तमिलनाडु से अपने दम पर एक सीट जीत सकती है जबकि जेएमएम और आरजेडी के पास कांग्रेस उम्मीदवार को जिताने की ताकत है। लेकिन, दलों ने कांग्रेस का आग्रह ठुकराते हुए उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। अब उसे विभिन्न राज्यों से अपने दम पर जीत पाने वाली राज्यसभा की सीटों से संतोष करना होगा। चुनावी समीकरण बताते हैं कि अगर कांग्रेस आखिरी वक्त में भी सहयोगियों को साधने में सफल रही तो उसके आठ उम्मीदवार राज्यसभा पहुंच सकते हैं।
दोस्तों ने झटका, परिवार में भी कलह
मध्य प्रदेश में 20 से अधिक विधायकों के नुकसान और राज्य की सत्ता से संभावित छुट्टी कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत महंगी पड़ने वाली है। अब मध्य प्रदेश से राज्यसभा की दूसरी सीट गंवानी पड़ जाएगी और उसकी एक ही सीट कन्फर्म हो पाएगी। पार्टी को हरियाणा में बेहद सावधानी बरतनी होगी क्योंकि वहां उसके पास राज्यसभा की मुश्किल से एक सीट जिता पानेभर विधायक ही हैं। ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर हुड्डा की ओर से लगाया जा रहा अड़ंगा कांग्रेस के लिए नई मुसीबत पैदा कर सकता है।
लगातार घट रही है कांग्रेस की ताकत
कांग्रेस को अपनी राजनीतिक ताकत में गिरावट थामने के लिए राज्यसभा सांसदों की संख्या बढ़ाने की बहुत ज्यादा दरकार है। हालांकि, जिस तरह सहयोगी दलों ने साथ देने से इनकार कर दिया, उससे तो यही लगता है कि लोकसभा चुनावों में शर्मनाक पराजय के कारण बीजेपी विरोधी मोर्चे की अगुवाई की उसकी क्षमता प्रभावित हो रही है।
यूपीए शासन के एक दशक में कांग्रेस का सहयोगियों के बीच जलवा हुआ करता था। 2014 में सत्ता गंवाने के बाद भी सहयोगियों के साथ डीलिंग में कांग्रेस का अपर हैंड हुआ करता था, लेकिन अब बार-बार के आग्रह के बावजूद राज्यसभा की एक भी सीट के लिए सहयोगियों का समर्थन जुटा पाने में नाकामी उसकी घटती ताकत का सबूत दे रही है।
आरजेडी ने दिया तगड़ा झटका
सबसे दिलचस्प वाकया तो बिहार में सामने आया है जहां कांग्रेस ने आरजेडी से बड़ी उम्मीदें लगा रखी थीं। उसे लग रहा था कि आरजेडी अक्टूबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव पर फोकस रखेगी और वह साथियों को नाराज करने का खतरा मोल नहीं लेगी। दोनों पार्टियों के बीच गुप्त बातचीत सफल नहीं रही तो बिहार कांग्रेस के इन चार्ज शक्ति सिंह गोहिल ने पत्र लिखकर आरजेडी को उसका वादा याद दिला दिया। इस पर आरजेडी ने मीडिया में आकर कांग्रेस से किसी भी तरह के वादे से इनकार कर दिया।
तमिलनाडु में भी फेल हुआ कांग्रेस का आकलन
तमिलनाडु में डीएमके ने भी ऐसा ही किया। डीएमके पिछले चुनावों में प्रतिद्वंद्वी एआईएडीएमके से परास्त हुई थी। ऐसे में कांग्रेस को लग रहा था कि डीएमके राज्य की सत्ता में वापसी के लिए साथी दल को साधकर रखेगी, लेकिन कांग्रेस का यह आकलन भी फेल हो गया। वहीं, झारखंड में तो जेएमएम ने हाल ही में कांग्रेस के साथ सरकार बनाई है। बावजूद इसके जेएमएम ने कांग्रेस की मांग को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी।