राफेल की चीनी लड़ाकू विमान जे-20 से तुलना को पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने सिरे से खारिज किया है। एक चीनी ‘विशेषज्ञ’ ने ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख में दावा किया था कि जे-20 के आगे राफेल नहीं टिक पाएगा। उस एक्सपर्ट का कहना था कि राफेल सिर्फ सुखोई-30 एमकेआई से सुपीरियर है, लेकिन चीनी एयरफोर्स के लड़ाकू विमान जे-20 से एक जेनरेशन पीछे है। पूर्व IAF चीफ धनोआ ने राफेल को ‘गेमचेंजर’ कहा था। उन्होंने चीनी ‘एक्सपर्ट’ के दावों का जवाब सिर्फ ‘दो आसान सवालों’ से दिया है।
पूर्व एयर चीफ मार्शल का पहला सवाल‘अगर जे-20 जिसे माइटी ड्रैगन भी कहते हैं, सच में फिफ्थ जेनरेशन का स्टील्थ फाइटर है जो उसमें कनार्ड्स क्यों हैं? जबकि असली 5वीं पीढ़ी के फाइटर्स जैसे अमेरिका का एफ-22, एफ-35 और रूस के सुखोई-57 में तो कनार्ड्स नहीं हैं।” कनार्ड्स वो छोटी, फारवर्ड विंग्स होती हैं जो मेन विंग के आगे लगाई जाती हैं ताकि एयरक्राफ्ट कंट्रोल बेहतर हो सके। पूर्व एयर चीफ मार्शल ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, “मुझे नहीं लगता कि जे-20 इतना स्टील्थी है कि उसे फिफ्थ जेनरेशन फाइटर कहा जाए क्योंकि कनार्ड से रडार सिग्नेचर बढ़ जाता है और लॉन्ग-रेंज मीटॉर मिसाइल की नजर में आ जाता है जो कि राफेल में लगी है।”
चीन से दूसरा सवाल“अगर जे-20 सच में फिफ्थ जेनरेशन का फाइटर है तो यह सुपरक्रूज क्यों नहीं कर सकता?” सुपरक्रूज किसी मिसाइल के बिना आफ्टरबर्नर्स का यूज किए मैच-1 (आवाज की गति) से ज्यादा स्पीड से उड़ने की क्षमता को कहते हैं। धनोआ ने कहा कि ‘राफेल में सुपरक्रूजएलिटी है और उसका रडार सिग्नेचर दुनिया के बेस्ट फाइटर्स जैसा है।’
इतने ही अच्छे चीनी जेट तो पाकिस्तान क्यों नहीं उड़ाता?धनोआ उन ऑफिसर्स में से रहे हैं जिन्होंने भारत के सभी टॉप एयरक्राफ्ट उड़ाए हैं। उन्होंने इसी हफ्ते चीन के प्रॉपेगेंडा की बखिया उधेड़ी थी। धनोआ का साफ कहना था कि अगर चीन के फाइटर्स इतने ही अच्छे हैं तो पाकिस्तान ने 27 फरवरी 2019 को राजौरी में हमला करने के लिए एफ-16 के बजाय जेएफ-17 यूज किया होता। लेकिन पाकिस्तान ने जेएफ-17 का इस्तेमाल केवल एयर डिफेंस कवर के लिए किया।
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