कभी इंदौर, कभी मुरादाबाद तो कभी रामपुर…कोराना से देश की जंग के बीच कर्मवीर निशाने पर हैं। कहीं मेडिकल टीम पर हमला होता है तो कहीं पुलिस पर पथराव। कोरोना काल में कर्मवीर अपनी जान जोखिम में डालकर जनता तक मदद पहुंचा रहे हैं। लेकिन एक के बाद एक हो रहे हमलों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला पश्चिम बंगाल के हावड़ा का है, जहां भीड़ ने पुलिस पर हमला बोल दिया।
कर्मवीरों का सेवाभाव…फिर भी हमले
कोरोना वायरस से निपटने के लिए मेडिकल स्टाफ, नर्स, सफाईकर्मी और पुलिस को सबसे बड़ा योद्धा माना जा रहा है। इस जंग में उन्हें कर्मवीर का ओहदा मिला है। वह तमाम मुश्किलों के बीच लोगों को मदद पहुंचाकर सेवाभाव की मिसाल रच रहे हैं। लेकिन लॉकडाउन के दौरान कई इलाकों में उन पर हमले की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। सवाल इस बात का है आखिर उन्हें निशाना क्यों बनाया जा रहा है। ऐसा भी नहीं है कि ये कर्मवीर उन्हें किसी दिक्कत में डाल रहे हैं, बल्कि वे लोगों की मुसीबत कम करने में लगातार सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
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डर या किसी अफवाह ने बनाया शिकार?
सवाल ऐसे लोगों की मानसिकता पर भी है, जो कर्मवीरों पर हमलावर हैं। ये कर्मवीर उन्हीं की मदद के लिए वायरस के खतरे के बीच पहुंच रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद नेकी कर दरिया में डाल की तर्ज पर कर्मवीर ही गुस्से का शिकार हो रहे हैं। इन पुलिसकर्मियों या मेडिकल स्टाफ को निशाना बनाने वाले आखिर क्यों नहीं समझ रहे हैं कि उनकी ये हरकत कोरोना से जंग में हमें कमजोर कर सकती है। आखिर इन लोगों को किस बात का डर है या वह किसी अफवाह का शिकार हो गए हैं। मेडिकल स्टाफ लोगों के घर पर कोरोना जांच के लिए सैंपल लेने ही तो जाते हैं। भला इससे किसी का क्या नुकसान होने वाला है? उन्हें डॉक्टरों से आखिर किस बात का डर है।
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हावड़ा में सुनियोजित था कर्मवीरों पर हमला?
अब ताजा मामला ही लीजिए। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में मंगलवार को भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया। भीड़ ने पुलिसकर्मियों का काफी दूर तक पीछा करते हुए उनकी बुरी तरह पिटाई की। जबकि कोरोना के ये कर्मवीर अपने कर्तव्य पालने के लिए जुटे हुए थे। पुलिस क्षेत्र में लॉकडाउन लागू का पालन कराने की कोशिश कर रही थी। इस हमले से जुड़ा एक वीडियो भी हैरान करने वाला है। कुछ लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ये पुलिसकर्मी पिटने वाले हैं। तो क्या पुलिसवालों को निशाना बनाने की पहले से ही तैयारी की गई थी।
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हॉटस्पॉट में हुआ था कर्मवीरों पर हमला
इससे पहले यूपी के मुरादाबाद में भी कोरोना हॉटस्पॉट में अपना दायित्व निभा रहे कर्मवीरों पर हमला हुआ था। यहां के हॉटस्पॉट नवाबपुरा में कोरोना पॉजिटिव पीतल कारोबारी की मौत के बाद परिजनों को क्वारंटीन करने पहुंची पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर लोगों ने पथराव कर दिया था। कारोबारी के परिजन क्वारंटीन करने का विरोध करते हुए टीम से भिड़ गए थे और मारपीट की। जिला अस्पताल के डॉक्टर एससी अग्रवाल, फार्मासिस्ट संजीव कुमार और ईएमटी पंकज सिंह समेत छह स्वास्थ्यकर्मी इस हमले में घायल हो गए थे। कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं। ऐम्बुलेंस और पुलिस जीप भी क्षतिग्रस्त कर दी गई थी। प्रशासन ने इस मामले में शामिल सात महिलाओं समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया था।
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रामपुर में तो सैनेटाइजर पिलाकर पीटा
कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच कर्मवीर अपना फर्ज निभा रहे हैं। सेनेटाइजेशन की जिम्मेदारी भी पूरी निष्ठा के साथ निभाई जा रही है। यह जद्दोजहद किसी तरह से इस भयानक महामारी पर काबू पाने के लिए हो रही है। लिया जाए। लेकिन कई जगहों पर उनके साथ मारपीट की जा रही है तो कहीं गालीगलौच किया गया। यूपी के रामपुर जिले में इसी महीने गांव में सेनेटाइजेशन करने गए एक युवक को जबरन सैनेटाइजर पिलाया गया। मुरादाबाद के टीएमयू अस्पताल में इलाज के दौरान 17 अप्रैल को उसकी मृत्यु हो गई।
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इंदौर की तस्वीर से हिल गया था देश
कर्मवीरों पर हमले की सबसे पहली तस्वीर इंदौर से आई थी। जांच करने गए डॉक्टर समेत हेल्थ वर्कर्स को स्थानीय लोगों ने दौड़ा लिया था। उनपर पथराव किया गया और वे किसी तरह जान बचाकर भाग निकलने में कामयाब हुए। हमले की चश्मदीद एक डॉक्टर ने बताया था कि हमें पॉजिटिव कॉन्टैक्ट की हिस्ट्री मिली थी, इसलिए हम वहां गए थे। हम लोगों ने जैसे ही पूछताछ शुरू की, उन लोगों ने पत्थर फेंकने शुरू कर दिए। यह तो अच्छा था कि हमारे साथ पुलिस फोर्स थी। हम बचकर आ गए, वरना बच नहीं सकते थे। जाहिर है कर्मवीरों पर हमले समाज के लिए शर्मनाक हैं और ऐसे लोगों को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।