राम मंदिर मामले में आया नया मोड़ः संविधान पीठ का सुझाव, मध्यस्थता से निकालें समाधान

नई दिल्लीः राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्म भूमि – बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मंगलवार को उस समय एक नया मोड़ आ गया जब उच्चतम न्यायालय ने संबंधित पक्षों को दशकों पुराने इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से आपसी सहमति वाला समाधान तलाशने का सुझाव दिया। न्यायालय ने कहा कि यह रिश्तों को सुधारने में मददगार हो सकता है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि यदि इस विवाद का आपसी सहमति के आधार पर समधान खोजने की एक प्रतिशत भी संभावना हो तो संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए। संविधान पीठ ने कहा कि इस मामले को न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता को सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में पांच मार्च को आदेश दिया जायेगा।

इस विवाद का मध्यस्थता के जरिये समाधान खोजने का सुझाव पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति एस ए बोबडे ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई के दौरान दिया। न्यायमूर्ति बोबडे ने यह सुझाव उस वक्त दिया जब इस विवाद के दोनों हिन्दू और मुस्लिम पक्षकार उप्र सरकार द्वारा अनुवाद कराने के बाद शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में दाखिल दस्तावेजों की सत्यता को लेकर उलझ रहे थे।

इस दौरान पीठ ने कहा, ‘‘हम इस बारे में (मध्यस्थता) गंभीरता से सोच रहे हैं। आप सभी (पक्षकार) ने यह शब्द प्रयोग किया है कि यह मामला परस्पर विरोधी नहीं है। हम मध्यस्थता के लिये एक अवसर देना चाहते हैं, चाहें इसकी एक प्रतिशत ही संभावना हो।’’ संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘हम आपकी (दोनों पक्षों) की राय जानना चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि सारी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिये कोई तीसरा पक्ष इस बारे में टिप्पणी करे।’’

इस मामले में सुनवाई के दौरान जहां कुछ मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि वे इस भूमि विवाद का हल खोजने के लिये न्यायालय द्वारा मध्यस्थता की नियुक्ति के सुझाव से सहमत हैं वहीं राम लला विराजमान सहित कुछ हिन्दू पक्षकारों ने इस पर आपत्ति करते हुये कहा कि मध्यस्थता की प्रक्रिया पहले भी कई बार असफल हो चुकी है। पीठ ने पक्षकारों से पूछा, ‘‘क्या आप गंभीरता से यह समझते हैं कि इतने सालों से चल रहा यह पूरा विवाद संपत्ति के लिये है? हम सिर्फ संपत्ति के अधिकारों के बारे में निर्णय कर सकते हैं परंतु हम रिश्तों को सुधारने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।’’

क्या कहा संविधान पीठ ने
पीठ ने कहा- 6 सप्ताह के भीतर सारे दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराएं।
संविधान पीठ का सुझाव- सभी पक्षकार निकाले मध्यस्थता का रास्ता
राम मंदिर मामले को पीठ ने माना पेचीदा मामला
अगली सुनवाई पांच मार्च को, संविधान पीठ मध्यस्थता के दे सकती है निर्देश

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