राशन बचाने को गांव ने छोड़ा एक वक्‍त का खाना

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कठुआ/डोडा/जम्मू
कोरोना महामारी के चलते घोषित लॉकडाउन से लोगों की कमाई का जरिया छीन गया है। ऐसे में कठुआ जिले की एक पंचायत ने कोरोना से जंग के लिए अनूठी पहल की है। पंचायत ने फैसला किया है कि गांव के करीब 2,500 लोग एक समय का भोजन नहीं करेंगे। ताकि राशन की बचत हो और लॉकडाउन के बीच हर भूखे को खाना मिल सके। हालांकि इस फैसले में गांव की गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बच्चों को शामिल नहीं किया गया है।

कठुआ जिले की बैरा बोरथैन पंचायत के सरपंच शिवदेश सिंह ने बताया कि पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में इस प्रस्ताव को पारित किया गया है। ‘भोजन बचाओ-राष्ट्र बचाओ’ के तहत गांव के लोगों ने के खिलाफ देश की लड़ाई में अपना योगदान देने के लिए ये कदम उठाया है। उन्होंने बताया कि गांव की कुल आबादी 2,500 से अधिक है और सभी गांववासियों ने एक सुर में फैसले का स्वागत किया है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 21 दिवसीय राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से दो दिन पहले 22 मार्च को ही जम्मू और कश्मीर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था।

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के अब तक कुल 207 मामले
जम्मू-कश्मीर में कोरोना वायरस के अब तक कुल 207 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें कश्मीर के 168 और जम्मू में 39 लोग शामिल हैं, जबकि चार लोगों की मौत भी हो चुकी है। लॉकडाउन की घोषणा के बाद जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे प्रवासी मजदूर फंसे गए हैं। इसके अलावा रोजमर्रा के लोगों के सामने कमाने-खाने का संकट पैदा हो गया है, क्योंकि सभी व्यावसायिक गतिविधियां और कामकाज रुक गए हैं। हालांकि सरकार ने प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचने के लिए कई कदम उठाए हैं। पुलिस, सेना और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी गैर सरकारी संगठनों, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों और यहां तक कि व्यक्तियों के साथ हाथ मिलाने के लिए आगे आई हैं, ताकि कोई भी भूखा न सोए।

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अन्य पंचायत के लोगों की करेंगे मदद डोडा की रिपोर्टों में कहा गया है कि चिनाब घाटी जिले के दूरदराज के इलाकों में आदिवासी आबादी बहुत ही प्रतिकूल स्थिति का सामना कर रही है। ऐसे में सरपंच शिव देव सिंह ने अन्य पंचायतों से ऐसे लोगों की मदद सुनिश्चित करने के लिए सूट का पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनकी पंचायत जरूरतमंद लोगों की पहचान करेगी और उन तक मदद पहुंचाएगी।

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