14 घंटी का लंबी बातचीत
यह मीटिंग मंगलवार को सुबह करीब 11.30 बजे शुरू हुई और रात 2 बजे तक चली। यह चौथी कोर कमांडर मीटिंग थी और यह अब तक की सबसे लंबी मीटिंग भी। सूत्रों के मुताबिक सैनिकों की तैनाती कम करने की प्रक्रिया आसान नहीं है और इसमें दोनों देशों के बीच टफ निगोसिएशन हो रहा है जिसकी वजह से मीटिंग इतनी लंबी चली। अभी तक मीटिंग के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
नई दिल्ली और बीजिंग में चर्चा
मंगलवार देर रात तक चली मीटिंग के बाद बुधवार को नॉर्दन आर्मी कमांडर और कोर कमांडर ने आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे को मीटिंग के बारे में ब्रीफ किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी बताया गया कि मीटिंग में क्या हुआ। चाइना स्टडी ग्रुप को भी इस बारे में देर शाम तक ब्रीफ किया जाएगा। जहां नई दिल्ली में हायर लेवल पर इस पर चर्चा चल रही है, वहीं बीजिंग में भी इस पर बातचीत हो रही है।
पैंगोंग और डेपसांग पर फंसा पेच
सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में दोनों देशों की शर्तों को लेकर किसका क्या रुख रहा और किस बात पर सहमति बनती दिखी इस पर उच्च स्तरीय चर्चा के बाद ही जमीनी स्तर पर कुछ किया जाएगा। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, अगर जरूरत पड़ी तो एक और राउंड की मीटिंग हो सकती है या फिर बातचीत में जिन पॉइंट्स पर सहमति बनी उन पर धीरे-धीरे आगे बढ़ने की प्रक्रिया तय की जा सकती है। बातचीत का अहम बिंदु पैंगोंग और डेपसांग एरिया रहा।
चोटी पर अब भी मौजूद हैं चीनी सैनिक
पैंगोंग एरिया में चीनी सैनिक डिसइंगेजमेंट के पहले फेज में भले ही फिंगर-4 से फिंगर-5 की तरफ पीछे गए, लेकिन रिजलाइन पर यानी पहाड़ी चोटी पर वह अब भी मौजूद हैं जबकि भारत को भी फिंगर-4 से पीछे फिंगर-3 पर आना पड़ा। भारत की तरफ से साफ किया गया है कि चीनी सैनिकों को पुरानी स्थिति में लौटना होगा यानी उन्हें फिंगर-8 के पीछे जाना होगा।
पहला चरण तो गुजर गया, दूसरा चरण काफी मुश्किल
एलएसी के दोनों तरफ हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती की गई है। साथ ही युद्ध स्तर पर तोप, टैंक, मिसाइल के साथ ही फाइटर जेट और दूसरे सैन्य साजो-सामान तैनात हैं। इन सबको पीछे करने की टाइमलाइन पर बात हुई। एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि फेज वन में दोनों देशों के सैनिकों को बस आमने-सामने से हटाकर एक बफर जोन बनाना था लेकिन अब फेज 2 की प्रक्रिया काफी पेचीदा है। इसमें कई महीने लग सकते हैं।