लद्दाख में चीन से लंबी 'भिड़ंत' को तैयार भारत

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इंद्राणी बागची/नई दिल्‍ली
लद्दाख में लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम होता नहीं दिख रहा। चीन और भारत के सैनिकों के बीच हालात वैसे ही बने हुए हैं। सेना ने बड़ी तेजी से सैनिकों और जरूरी मैटीरियल्‍स फॉरवर्ड पोजिशंस पर पहुंचाने शुरू कर दिए हैं। चीन ने पैंगोंग झील के पास टेंट लगाए तो भारत ने भी खूंटा गाड़ दिया है। सरकार ने साफ कर दिया है कि बॉर्डर पर जारी डेवलपमेंट का कोई काम इस तनाव की वजह से नहीं रोका जाएगा। संकेत यही हैं कि भारत लंबे स्‍टैंड-ऑफ के लिए तैयार है। डिप्‍लोमेटिक और ग्राउंड लेवल पर मिलिट्री में बातचीत हो रही है मगर इस तनाव का कोई हल नहीं निकलता दिख रहा।

लद्दाख में बेवजह टांग अड़ा रहा चीनगलवां घाटी में चीन आक्रामक इसलिए है क्‍योंकि उसके पास भारत के कई डिफेंस रिलेटेड प्रोजेक्‍ट्स हैं। धारचुक से श्‍योक होते हुए दौलत बेग ओल्‍डी के लिए रोड बनी है। दौलत बेग ओल्‍डी में एंडवास्‍ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) है जो दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप है। यहां इंडिया C-130 ग्‍लोबमास्‍टर एयरक्राफ्ट उतार सकता है। यानी भारत के लिए यह रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। य रोडह भारत को काराकोरम हाइवे का भी एक्‍सेस देती है जिसपर चीन को दिक्‍कत है। रोड 2019 में पूरी हो चुकी है।

गलवां घाटी और पैंगोंग लेक बने फ्लैश पाइंटलद्दाख में LAC पर दो जगह ऐक्‍शन पॉइंट हैं। 5 मई को पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग लेक के पास करीब 250 चीनी सैनिक और भारतीय जवान आपस में भिड़ गए थे। इसमें दोनों ओर से करीब 100 सैनिक घायल हुए। झील का उत्‍तरी किनारा किसी हथेली जैसा है। इसमें 8 हिस्‍से हैं जिन्‍हें आर्मी ‘फिंगर्स’ कहती है। भारत के मुताबिक, LAC 8वीं फिंगर से शुरू होती है जबकि चीन कहना है कि दूसरी से। भारत चौथी फिंगर तक कंट्रोल करता है। गलवां में घुसपैठ भारत के लिए नई थी। यहां से चाइनीज क्‍लेम लाइन गुजरती है। चीन के सैनिक यहीं पर मौजूद हैं।

लंबे समय तक तनाव के लिए तैयार रहे भारतभारतीय सुरक्षा सूत्र बताते हैं कि भारत को चीन के साथ बॉर्डर पर और तनाव के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्‍योंकि चीन ने बॉर्डर पर जैसा डेवलपमेंट किया है, भारत उसी रास्‍ते पर है। पिछले चार साल में भारत ने पूरे LAC पर सड़कें और लैंडिंग स्ट्रिप बिछाने का काम किया है। इससे भारतीय सैनिकों का LAC पहुंचना बेहद आसान हो गया है। अब चीन को उसकी नामाकूल हरकत का जवाब फौरन मिल जाता है। चीन लगातार पैट्रोल करता रहता है, भारत ने उसका विरोध तेज कर दिया है। इस वजह से झड़पों की संख्‍या भी बढ़ी है।

डोकलाम से मिलता-जुलता है लद्दाख का मसला, अलग भी हैलद्दाख में जो कुछ हो रहा है, उसमें से एक चीज 2017 में हुए डोकलाम विवाद के दौरान भी हुई थी। तब भी एग्रेशन चीन ने दिखाया था और अब भी ड्रैगन ही जबर्दस्‍ती पर उतारू है। हां एक बड़ी बात जो दोनों घटनाओं में एकदम अलग है, वो ये ऐसे इलाके में हो रहा है जहां अक्‍सर झड़पें होती रहती हैं। डोकलाम ट्राई-जंक्‍शन हैं जहां आमतौर पर इतना तनाव देखने को नहीं मिलता था।

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