लॉकडाउन के बाद कामगार कैसे मिलेंगे.. चिंता में राज्य

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नई दिल्लीकोरोना संकट के बीच पूरे देश में लागू लॉकडाउन का असर दिहाड़ी मजदूरों पर सबसे अधिक पड़ा है और वे या तो घर लौट चुके हैं या लॉकडाउन के समाप्त होते ही घर लौटने की फिराक में हैं। अब इसके साइड इफेक्ट और कई राज्यों के लिए चिंता अभी से दिखने लगी है। वे अभी से रणनीति बनाने में जुट गये हैं ताकि तब उन्हें इस मामले में नयी समस्या का सामना नहीं करना पड़े। लॉक डाउन के समाप्त होने के बाद ठप पड़ी आर्थिक गतिविधि को शुरू करने के लिए सबसे पहले कामगारों की जरूरत पड़ेगी और अगर वह मिलने में कठिनाई हुई तो इसका असर आर्थिक रूप से चीजों के पटरी पर आने की कोशिशों पर पड़ सकता है।बिहार और उत्तर प्रदेश से संपर्क साधा करीब आधे दर्जन राज्यों ने इस मामले में बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से संपर्क साधा है और इस मामले में मदद मांगी है। मसलन पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से बात कर उन्हें आग्रह किया कि वे तय करें कि लॉक डाउन के बीच जो भी मजदूर पंजाब में रह गये हैं वे इसके समाप्त होने के बाद वहीं ठहरें। उन्होंने भरोसा दिलाया कि मजदूरों के हितों की रक्षा की जाएगी। पंजाब की खेती यूपी के मजदूरों पर निर्भर पंजाब की खेती बिहार और उत्तर प्रदेश के मजदूरों पर बहुत हद तक निर्भर रही है। अमरिंदर सिंह ने नीतीश कुमार से इसके लिए अपील भी करने को कहा। वहीं तेलंगाना सरकार ने बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार से संपर्क कर आग्रह किया कि अगर वे अनुमति देंगे तो बस और ट्रेन के माध्यम से वह मजदूरों को ले जाएंगे। इसी तरह कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसी तरह की समस्या आने वाले हैं। इन राज्यों ने आशंका जाहिर है कि अगर मजदूर उपलब्ध नहीं हुए तो लॉक डाउन समाप्त होने के बाद भी काम शुरू करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अधिकतर राज्यों की अपेक्षा है कि खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश की सरकार इस बात के लिए अपने प्रदेश के मजदूरों को इस बात के लिए मनवाएगा कि लॉक डाउन समाप्त होने के बाद अपने काम पर लौट जाएं।

मजदूरों को वापस भेजना मुश्किलबिहार सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने एनबीटी से कहा कि कई राज्यों ने उनके संपर्क किया है, उनका कहना है कि जो मजदूर बिहार आ चुके हैं उन्हें अपने भेजना उनके हाथ में नहीं रहेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में नब्बे प्रतिशत रोजगार असंगठित सेक्टर में हैं और इन सेक्टर में आधे से अधिक बिहार-यूपी के मजदूरों की संख्या साठ फीसदी से अधिक है और अगर वे समय पर नहीं लौटें तो इसका गंभीर परिणाम कई सेक्टर के कामकाज पर दिख सकता है।झारखंड के सात लाख कामगार घर लौटे झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने एनबीटी से कहा था कि अभी सात लाख उनके राज्य के कामगार लॉक डाउन के तुरंत बाद अपने घर लौटने वाले हैं। बिहार के लगभग बीस लाख से अधिक कामगार लौटना चाहते हैं जबकि पांच लाख से अधिक लौट चुके हैं। उत्तर प्रदेश के भी करीब बीस लाख गरीब मजदूर लॉकडाउन समाप्त होने के तुरंत बाद लौट सकते हैं। हाल के दिनों में जहां भी प्रवासी मजदूरों ने घर जाने की जिद की और जिसकी परिणति उग्र प्रदर्शन में भी हुई, उनमें अधिकांश बिहार और उत्तरप्रदेश राज्य के ही रहे हैं।

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