लॉकडाउन खत्म और खेल शुरू? सब्र रखिए ऐसा नहीं होगा

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द्वैपायन दत्ता, चेन्नै
लाइव खेल ऐक्शन को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है। फैंस खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं और चाहते हैं कि जल्द से जल्द स्थितियां सामान्य हों।

लेकिन खेल के दीवानों का इंतजार बढ़ सकता है। चूंकि ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन समाप्त होते ही खेल गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। लॉकडाउन समाप्त होने के बाद मैदान पर उतरने से पहले ऐथलीट्स को एक प्रक्रिया से गुजरना होगा। उन्हें मैच फिटनेस हासिल करने के लिए अच्छा खासा वक्त चाहिए होगा।

देशभर के चोटी के ट्रेनर्स का कहना है कि क्रिकेटर्स और अन्य खिलाड़ी अगर आउटडोर ट्रेनिंग शुरू भी कर दें तो उन्हें मैच फिटनेस हासिल करने के लिए कम से कम तीन हफ्तों की जरूरत होगी।

टीम इंडिया के पूर्व ट्रेनर रामजी श्रीनिवासन, जो फिलहाल शरत कमल, साथियन, रामकुमार रामानाथन और नारायण कार्तिकेन जैसे कई ऐथलीट्स के साथ काम कर रहे हैं, ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि वे अपने घर पर खाली बैठे हैं, हम ऐथलीट्स से बात कर रहे हैं और उन्हें वर्कआउट शेड्यूल दे रहे हैं, लेकिन यह कभी आउटडोर ट्रेनिंग का विकल्प नहीं हो सकता।’ यह सही है कि कई ऐथलीट अपनी ट्रेडमिल पर अपनी कार्डियो वस्कुलर ट्रेनिंग कर रहे हैं, लेकिन यह मैदान में दौड़ लगाने से काफी अलग है।

2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के ट्रेनर रहे रामकुमार ने कहा, ‘मैदान का माहौल और रिऐक्शन ट्रेनिग के दौरान काफी अलग प्रभाव डालता है। मैदान मे दौड़ना और घर के अंदर दौड़ना, दोनों अलग-अलग बाते हैं। दरअसल, ट्रेडमिल पर दौड़ लगाना एक टॉपअप एक्सरसाइज की तरह है।’

सुदर्शन, जो 2013-2016 के बीच भारतीय टीम के ट्रेनर थे, को लगता है कि से दूर रहने के बाद तेज गेंदबाजों के लिए वापसी करना सबसे ज्यादा मुश्किल होगा। सुदर्शन भी मानते हैं कि मैच फिट होने के लिए 21 दिनों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘तेज गेंदबाजी में कार्डियो वस्कुलर गतिविधियां सबसे ज्यादा होती हैं। साथ ही रनअप के लिए उछलना और रनअप पर लैंड करना काफी मायने रखता है। आपको लोड धीरे-धीरे बढ़ाना होगा वर्ना खिलाड़ियों को चोट भी लग सकती है।’

टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी, जो फिलहाल चेन्नै सुपर किंग्स के बोलिंग कोच हैं को भी अपने प्लेइंग करियर के दौरान काफी चोटों का सामना करना पड़ा। वह चीजों को बेहतर तरीके से रखते हैं।

उन्होंने कहा, ‘यह सोचना कि इस तरह का ब्रेक क्रिकेटर्स के लिए मददगार होगा, गलत है। यह उस कार की तरह है जो यूं तो रोज इस्तेमाल होती है लेकिन अचानक उससे काम लेना बंद कर दिया जाए। बैटरी पर इसका काफी असर पड़ता है और ऐसा ही खिलाड़ियों के शरीर के साथ होगा, खास तौर पर उनके लिए जो लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। तो यह जैसे गेंदबाजों, जिनका चोट का इतिहास रहा है, को वापसी से पहले काफी सावधानी बरतनी होगी।’

बालाजी ने कहा कि गेंदबाजों के लिए मैदान के कम से कम छह से सात चक्कर लगाने बहुत जरूरी हैं, जिसे ट्रेडमिल या किसी सख्त जमीन पर नहीं दोहराया जा सकता। उन्होंने कहा, ‘तेज गेंदबाजों के लिए इनडोर प्रैक्टिस करके अपनी लय हासिल कर पाना लगभग असंभव है।’

संजीब दास, इस साल रणजी ट्रोफी के फाइनल में पहुंचने वाली बंगाल टीम के ट्रेनर हैं। उन्होंने साफ किया कि सभी खिलाड़ियों के पास घर पर ट्रेनिंग के वे उपकरण मौजूद नहीं होंगे जो टीम इंडिया के खिलाड़ियों के पास हैं। उन्होंने कहा, ‘एक्सरसाइज रूटीन को सही तरीके से तैयार किया जाना जरूरी है। बड़ी बात यह है कि जब वे घर पर ट्रेनिंग कर रहे हैं तो हम उनके साथ नहीं हैं और ऐसे में हमें अधिक सावधान रहने की जरूरत है।’

हालांकि इस बीच कुछ चीजें ऐसी हैं जो अब भी की जा सकती हैं। रामजी ने कहा, ‘ताकत बढ़ाने वाली एक्सरसाइज, संतुलन, कोर स्ट्रेंथ और स्टेबिलिटी, आंख और शरीर का सामंजस्य बैठाने वाली ड्रिल्स, लचीलापन और योग आदि घर पर की जा सकती हैं।’

ट्रेनर्स का मानना है कि चूंकि बल्लेबाजी काफी हद तक हैंड आई कॉर्डिनेशन है इसलिए जैसे बल्लेबाज लॉकडाउन के दौरान घर पर इसकी प्रैक्टिस कर सकते हैं। सुदर्शन ने कहा, ‘बल्लेबाज और फील्डर्स के लिए वापसी करते हुए रिस्क फैक्टर जरा कम है।’

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