मध्यप्रदेश। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सूबे में लगातार युवतियों के गायब होने की बात पर गंभीरता दिखाते हुए कहा कि राज्य में ऐसे मामलों के आंकड़ें चौंकाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि, पिछले साल लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से दिसंबर के बीच कुल 7 हजार युवतियों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। दरअसल, सी.एम. ने इस मामले को लेकर मंत्रालय में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई।
सी.एम. ने बैठक में डीजीपी विवेक जौहरी को निर्देश दिए कि राज्य से सभी लापता युवतियों और बच्चियों को ढूँढने का अभियान तेजी से चलाएं। उन्होंने कहा, साथ ही जो युवतियां व महिलाएं अपने घर से दूर के जिलों व राज्यों में काम करने गयी हैं, उनका भी रिकॉर्ड रखने के लिए सुव्यवस्थित रूप में एक सिस्टम तैयार करें। ताकि किसी समस्या के चलते वे हमसे शिकायत कर सकें। साथ ही साथ सभी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो। उन्होंने कहा, गायब बच्चों में बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या दुगुनी होने से स्पष्ट संकेत है कि, उनका लापता होना सामान्य नहीं है।
डीजीपी जौहरी ने बैठक में बालिकाओं और युवतियों के लापता होने के पीछे प्रमुख कारण बताए। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र के थानों में दर्ज मामलों में अधिकांश में बिना बताए घर से जाना, नाराज होकर भागना या बिना बताए प्रेमी के साथ भागने के तथ्य सामने आए हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र से मजदूरी के नाम पर पलायन होता है। इसमें श्रम विभाग की कार्रवाई आवश्यक होगी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी देखें, कॉन्ट्रैक्टर उन्हें कहां और किस कार्य से ले जाते हैं, इसका रिकाॅर्ड रखा जाए। बैठक में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा भी मौजूद रहे।
आपको बता दें कि पिछले आठ महीनों के दौरान सूबे में करीब लापता 7 हजार युवतियों में से पुलिस ने करीब 4 हजार को तलाश की है, जबकि 3 हजार का सुराग नहीं मिला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, बेटियों के गायब होने के मामले में गंभीर कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लापता बालिकाओं की संख्या भी छोटी नहीं है। इतनी बड़ी संख्या में ये होना चिंता का विषय है।