लॉकडाउन 3.0 में ठेके खोलना भारी न पड़ जाए

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नई दिल्ली
कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने के लिए ने दो चरणों का लॉकडाउन पूरा कर दिया है और आज से तीसरे चरण का लॉकडाउन () शुरू हो चुका है। इस चरण में मोदी सरकार ने तमाम रियायतें दी हुई हैं। इनमें से ही एक रियायत है शराब की दुकानें खोले जाने की ()। शराब की दुकानें खुलते ही लोग दुकान के सामने लंबी लाइनों में खड़े दिखे। कई जगह नियम कानून (Social Distancing) की धज्जियां भी उड़ती दिखीं। कहीं में शराब की दुकानें खोलना मोदी सरकार को भारी ना पड़ जाए। कहीं ये एक फैसला लॉकडाउन के दो चरणों की मेहनत पर पानी ना फेर दे।

शराब की दुकानें का बाहर कानून की धज्जियां
कोरोना काल में सबसे जरूरी है सोशल डिस्टेंसिंग, क्योंकि इसी तरह से कोरोना से लड़ा जा सकता है, जबकि शराब की कई दुकानों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का ही अभाव दिख रहा है। वैसे भी, 2-4 पुलिस वाले सैकड़ों की भीड़ को कैसे रोंकेंगे, जब तक कि लोग खुद अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते। कुछ उदाहरण ये रहे।

छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में शराब की दुकान के बाहर लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। किसी को कोरोना का कोई डर नहीं था। सारे लोग बिना सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किए भीड़ लगाए खड़े दिखे।

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दिल्ली में देश बंधु गुप्ता रोड पर लोग शराब की दुकान के बाहर लाइन में खड़ें दिखे, लेकिन ये वीडियो देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं ये लाइन कम और भीड़ ज्यादा है।

कर्नाटक के बेंगलुरु में एक शराब की दुकान के बाहर लोग लाइनों में लगे तो खड़े दिखे, लेकिन लाइन लगाते वक्त सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लोग बहुत ही पास-पास खड़े हैं।

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दिल्ली के कश्मीरी गेट पर स्थित शराब की दुकान पर तो पुलिस को हल्का लाठीचार्ज भी करना पड़ गया, क्योंकि वहां नियमों की अनदेखी की जा रही थी।

होम डिलीवरी हो सकता था विकल्प
मोदी सरकार को शराब की दुकानें सीधे खोलने के बजाय पहले होम डिलीवरी शुरू करनी चाहिए थी। इससे कम से कम आधी से अधिक भीड़ होम डिलीवरी करवा लेती। ऐसे में जब कुछ दिन बाद दुकानें खोली जातीं तो सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित की जा सकती थी, जो अभी सड़कों पर देखने को नहीं मिल रही है।

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