घरवालों से नाउम्मीदी का यह आलम था कि वह उनसे अपनी व्यथा कहने की भी हिम्मत नहीं कर पाई। सबसे पहले एक स्थानीय एनजीओ से जुड़ी कल्याणी से संपर्क किया
घरवालों से नाउम्मीदी का यह आलम था कि वह उनसे अपनी व्यथा कहने की भी हिम्मत नहीं कर पाई। सबसे पहले एक स्थानीय एनजीओ से जुड़ी कल्याणी से संपर्क किया
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