शाह की रैली से बिहार में दलों में कैसी खलबली

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नई दिल्ली/पटना
बिहार में अमित शाह की अगुवाई में एनडीए की ओर से रविवार को चुनावी अभियान शुरू करने के अगले दिन यूपीए के छोटे दलों ने कांग्रेस पर और दबाव बढ़ाया। यूपीए की तीन क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस से सामने आकर गठबंधन से जुड़े मसलों को पंद्रह दिनों के अंदल सुलझाने को कहा है। तीनों दलों ने इसी मसले पर इसी हफ्ते एक और मीटिंग करने का फैसला किया है। वहीं कांग्रेस ने कहा कि है कि 20 जून के तुरंत बाद राज्य में गठबंधन से जुड़े मसलों पर सहमति बनाकर चुनावी अभियान शुरू हो जाएगा।

तीनों पार्टी ने कांग्रेस पर दबाव बनाया है कि इस बार राज्य में विपक्ष का नेता उसकी ओर से घोषित हो। यह तब हो रहा है जब आरजेडी पहले ही तेजस्पी यादव को विधानसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा बताकर उतार चुकी है।

RLSP बोली- पहल करे कांग्रेस
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (RLSP) के महासचिव माधव आनंद ने नवभारत टाइम्स से कहा कि बिहार के चुनाव में अब कम वक्त बचे हैं, ऐसे में कांग्रेस को यूपीए की अगुवा पार्टी होते हुए तत्काल पहल करनी चाहिए और नेतृत्व से लेकर हर छोटी बात को तय कर गठबंधन का संयुक्त अभियान शुरू हो जाना चाहिए। तेजस्वी यादव के नेतृत्व के बारे में सीधा नहीं बोतले हुए उन्होंने कहा कि जब महागठबंधन बना है तो इसकर मतलब है कि यहां जो भी तय होगा वह सामुहिक विचार से तय होने चाहिए।

कोई खुद से CM कैंडिडेट कैसे घोषित कर सकता है: मांझी की पार्टी
वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेन्द्र कुमार मु्न्ना ने कहा, ‘महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार अगर कोई पार्टी खुद से घोषित कर देगी तो गठबंधन का मतलब ही क्या? हम पार्टी की मांग है कि महागठबंधन को महामजबूत रखने के लिए जल्द ही समन्वय समिति गठित। जो फैसला हो, सर्व सहमति से हो।’ जीतन मांझी की हाल में नीतीश कुमार से भी करीबी बढ़ी है और उन्होंने अपना विकल्प खुला छोड़ रखा है।

जल्द हल निकाले कांग्रेस: वीआईपी
वहीं वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने नवभारत टाइम्स से कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि कांग्रेस के नेतृत्व में सभी मसले का जल्द हल निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि 19 जून को राज्यसभा चुनाव के बाद सभी दल बैठकर जल्द से जल्द नेतृत्व से लेकर सीट शेयरिंग तक का मामला सुलटा लेंगे। उन्होंने कहा कि एनडीए की तैयारी को देखते हुए यूपीए को भी उसी सजगत और गंभीरता से तैयारी करनी चाहिए।

छोटे दलों की ओर से बढ़ते दबाव के बीच कांग्रेस ने कहा कि 20 जून के बाद सभी साथ बैठेंगे और हल निकालेंगे। 20 जून तक इंतजार करने के पीछे तर्क दिया गया कि 19 जून को गुजरात में राज्यसभा चुनाव है और पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल पार्टी के उम्मीदवार हैं। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस भी इस बार आरजेडी के सामने छोटी पार्टी की भूमिका को चुनौती देना चाहती है और पार्टी अपने लिए राज्य की 243 विधानसभा सीटों में 100 सीटों का हिस्सा मांग रही है। कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में राज्य में करारी हार झेलने वाली विपक्ष अभी भी अपने ही घर के घमासान से परेशान है।

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