भोपाल। क्या 40 साल से ऊपर वालों को अपनी पढ़ाई का वह समय याद है जब शिक्षकों से माता-पिता कहते थे खाल-खाल आपकी, हड्डी-हड्डी हमारी यानी बच्चे को सुधारने के और पढ़ाने के लिए चाहे जितना मारना है मारिये बस हड्डी नहीं टूटनी चाहिए और उस समय के बच्चे भी थे कि पिटने के बाद भी टीचर की दिली इज्जत आज तक करते हैं। लेकिन अब वो जमाना गया।
आए दिन ऐसे समाचार सामने आते हैं जब बच्चे को चांटा मारने पर या मुर्गा बनाने पर टीचर पर एफआईआर दर्ज हो जाती है और अब एक नया फरमान जारी हो रहा है। स्कूल में किसी भी बच्चे को गधा ,मूर्ख ,फिसड्डी या नालायक कहना प्रताड़ना की श्रेणी में आएगा।
दरअसल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बच्चों को तनाव से बचाने के लिए एक अध्ययन किया था। इस अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बच्चों को सबसे ज्यादा बुरा तब लगता है जब टीचर उन्हें सबके सामने डांटती हैं। खासतौर से माता-पिता के सामने गधा ,मूर्ख, फिसड्डी या नालायक कहने पर तो उन्हें मन आत्महत्या करने तक का लगने लगता है ।ऐसे बच्चों को तनाव से बचाने के लिए प्रिंसिपल, टीचर और ब्लॉक अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर मास्टर ट्रेनर बनाया जाएगा और स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रोग्राम तैयार किया जाएगा। मास्टर ट्रेनर तैयार करने के बाल आयोग प्रदेश के सभी स्कूलों की मॉनिटरिंग संकुल प्राचार्य की मदद से करेगा।तो यदि आप टीचर हैं तो संभल जाइए और बच्चों के साथ अब नरमी भरा व्यवहार कीजिए।
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