सचिन की टीम मजबूत नहीं थी लेकिन वह प्रेरक कप्तान भी नहीं थे: थरूर

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नई दिल्ली
दुनिया के महान बल्लेबाज () के हैरतअंगेज रेकॉर्ड क्रिकेट में महारत को बताते हैं। मास्टर ब्लास्टर ने अपने पूरे करियर में बैटिंग के कई रेकॉर्ड अपने नाम किए और आज भी कई बड़े रेकॉर्ड्स पर सिर्फ उनका ही कब्जा है। लेकिन सचिन को जब टीम इंडिया की कप्तानी का मौका मिला, तो वह यहां खुद को साबित नहीं कर पाए। बतौर कप्तान तेंडुलकर के रेकॉर्ड बहुत निराशाजनक हैं और इसी के चलते उन्होंने खुद ही अपनी कप्तानी छोड़ दी थी।

भारतीय राजनेता () ने भी तेंडुलकर के जमाने की कप्तानी को याद किया है। उन्होंने कहा कि सचिन के पास भले ही मजबूत टीम न रही हो लेकिन वह प्रेरक कप्तान भी नहीं थे।

कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने स्पोर्टसकीड़ा बात करते हुए तेंडुलकर की कप्तानी के दिनों को याद किया।

उन्होंने कहा, ‘जब सचिन कप्तान नहीं थे तब मैं यही सोचता था कि वह भारत के संभावित कप्तानों में से सबसे बेस्ट विकल्प हैं। क्योंकि जब वह कप्तान नहीं थे, वह बेहद ऐक्टिव थे- वह स्लिप में फील्डिंग करते थे, दौड़कर कप्तान के पास जाते थे, उन्हें सलाह और हौसला देते थे।’

थरूर ने कहा, ‘लेकिन जब उन्हें कप्तान बनाया गया तो काम नहीं किया। उनके पास मजबूत टीम नहीं थी। लेकिन उन्होंने खुद भी स्वीकार किया है प्रेरणादायी कप्तान नहीं थे।’

उन्होंने कहा, ‘यह शायद इसलिए भी था क्योंकि उन्हें अपनी बैटिंग पर भी सोचना होता था। और अंत में उन्होंने खुशी-खुशी अपनी कप्तानी छोड़ दी और बाद में जब उन्हें दोबारा मौका मिला तो उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।’

सचिन को साल 1996 में कप्तानी सौंपी गई थी। इस दौरान उन्होंने 73 वनडे और 25 टेस्ट में भारतीय टीम की कमान संभाली। सचिन का कप्तानी रेकॉर्ड निरशाजनक रहा। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम 73 वनडे में से 23 ही जीत सकी और 43 में उसे हार मिली। इस दौरान उनका जीत प्रतिशत 35.07 ही रहा। इसके अलावा 25 टेस्ट के दौरान टीम इंडिया को सिर्फ 9 टेस्ट में ही जीत मिल सकी। यहां उनका विनिंग औसत सिर्फ 16 ही रहा।

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