ओलिंपिक पदक विजेता साक्षी इस बारे में कहती हैं, ‘यह निराशाजनक है, क्योंकि मैंने अच्छी तैयारी की थी और ओलिंपिक क्वॉलिफिकेशन शुरुआती लक्ष्य था। अब इतनी अनिश्चितता है कि हमें पता नहीं है कि किस चीज के हमें तैयारी करना है। मुझे पता है कि मुझे यह समय वापस नहीं मिलेगा। लेकिन यह मेरे हाथ में नहीं है।’ हालांकि, साक्षी का मानना है कि हर बात में कोई न कोई पॉजिटिव चीज छुपी होती है।
वह कहती हैं, ‘सांत्वना यह है कि मैं ऐसा करने वाली अकेली नहीं हूं। मेरे घुटने की सर्जरी होने के बाद, मैं एक महीने के लिए बाहर थी। अब गेम में वापस आना चाहती हूं, क्योंकि मुझे अपने विरोधियों के खिलाफ जीतना है। फिलहाल हम सभी घर पर हैं।’
प्रशिक्षण सुविधाओं के अभाव में साक्षी ने हरियाणा में अपने ससुराल में देसी अखाड़े में प्रशिक्षण का सहारा लिया। उन्होंने इस बारे में बताया, ‘मैंने कभी अखाड़े में रेसलिंग नहीं की और इसलिए इसका उपयोग करने में समय लग रहा है। गति, तकनीक, सब कुछ अलग है, लेकिन मैं फिट रहने और कुश्ती से जुड़े रहने के लिए प्रशिक्षण ले रही हूं।’
इससे उन्हें अपने पति पहलवान सत्यव्रत कादियान के साथ समय बिताने में भी मदद मिली है। वह कहती हैं, ‘उन्हें कीचड़ में कुश्ती करने का अनुभव है। वह भारत केसरी रहे हैं और वह मुझे कुछ टिप्स देते हैं। मुझे पसंद है कि चूंकि हमें कुछ समय एक साथ बिताना है।’ं
+ There are no comments
Add yours