दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र बस्तर में जितने घातक नक्सली हैं, उतना ही घातक यहां मलेरिया की बिमारी है। जहां नक्सली मुठभेड़ और हमलों के चलते अब तक हजारों लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं, मलेरिया भी यहां नक्सलियों की तरह जानलेवा है। लेकिन अब बस्तर को मलेरिया मुक्त बनाने के लिए सरकार ने नई योजना चलाई है, जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचकर लोगों की जांच कर रही है। लेकिन सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को शासन के अधिकारी कर्मचारी ही पतीला लगाने में लगे हुए हैं। ऐसा ही मामला दंतेवाड़ा जिले से आया है। जहां मतच्छरदानी वितरण में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है।
दरअसल झुग्गी झोपड़ी में निवासरत परिवारों को मच्छरदानी देने में स्वास्थ्य विभाग ने जहां राशन कार्ड की अनिवार्यता बताते एक राशनकार्ड में सिर्फ एक ही सिंगल बेड मच्छर दानी दिया, चाहे उनके परिवार में 9 ,10 सदस्य भी क्यों न हो। जबकि एनएमडीसी आवासीय परिसर में निवासरत पार्षदों के चहेतों को दो दो मच्छरदानी बंटवा रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि राशन कार्ड की अनिवार्यता भी नही है। उन्हें आधार कार्ड से मच्छरदानी के वितरण किया जा रहा है।
मच्छरदानी वितरण के लिए स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं को घर घर पहुंचकर मलेरिया टेस्ट करना था और मच्छरदानी वितरण भी करना था। लेकिन एनएमडीसी आवासीय परिसर वाले वार्डो में एल्डरमैन एवं पार्षद को मच्छरदानी वितरण की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग ने दे रखा है।
अब झुग्गी झोपड़ी में निवासरत लोग घरों में ज्यादा सदस्य होने के बावजूद एक मच्छरदानी दिए जाने को लेकर नाराजगी के साथ खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं ।
वार्डवासी अब अपने पार्षदों से पूछ रहे है कि मच्छर दानी वितरण करने का स्वास्थ्य विभाग का पैमाना क्या है ? जरूरत मंद लोगो को एक और जहां जरूरत नही है सछम लोगो को दो मच्छर दानी वितरण किया जा रहा है।
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