छत्तीसगढ़ का पोला तिहार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा पर्व है. खेती किसानी में बैल और गौ वंशीय पशुओं के महत्व को देखते गांवों में इस दिन बैलों को विशेष रूप से सजाया जाता है. उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.
घरों में बच्चे मिट्टी से बने नंदी बैल और बर्तनों के खिलौनों से खेलते हैं. सभी घरों में ठेठरी, खुरमी, गुड़-चीला, गुलगुल भजिया जैसे पकवान तैयार किए जाते हैं और उत्सव मनाया जाता है. बैलों की दौड़ भी इस अवसर पर आयोजित की जाती है।
हरेली के दिन बनायी गई गेड़ी का पोला तिहार के दिन विसर्जन किया जाता है.
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