सीमा पर यूं ही पंजाबी गाने नहीं बजा रहे चीनी सैनिक, सिख रेजिमेंट का बड़ा अहसान लदा है

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नई दिल्ली
चीन और भारत के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है। दोनों ही देश के जवान आमने सामने डटे हुए हैं। इसी बीच चीन की एक हरकत ने सबको चौंका दिया है। चीन पैंगोंग त्सो इलाके के पास पंजाबी गाने बजा रहा है। ऐसा वो क्यों कर रहा है? एक और सवाल जो दिमाग पर बार-बार दस्तक देता है कि चीनी सैनिक केवल पंजाबी गाना ही क्यों बजाते हैं?

लद्दाख में सिख सैनिकों की एंट्रीभारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जहां पर आमने-सामने हैं वो रेजांग ला-रेचिन ला रिडेलीन से दूर नहीं है। चुशुल ब्रिगेड मुख्यालय मेस में अभी भी एक सदी से अधिक सिख रेजिमेंट द्वारा जब्त की हुई लाफिंग बुद्धा की सोने की मूर्ति सहित कई कलाकृतियां हैं। ये सैनिक बॉक्सर विद्रोह को खत्म करने के लिए ये आठ राष्ट्र मिशन का हिस्सा थे। इस विद्रोह में युवा किसान और श्रमिक, सभी वर्ग के लोग शामिल थे।

बॉक्सर सेनानियों द्वारा विदेशियों को धमकाने और बीजिंग के फॉरेन लीजन क्वॉर्टर में 400 विदेशियों को बंदी बनाए जाने के बाद सेना बीजिंग चली गई। 20,000 गठबंधन सैनिकों के बीजिंग पहुंचने से पहले 55 दिनों तक घेराबंदी का दौर चला और उनमें से लगभग 80,000 सैनिक ब्रिटिश सेना से थे, जिनमें से ज्यादातर सिख और पंजाब रेजिमेंट के थे। जीत के बाद एक भारतीय सिपाही ने बताया था कि ब्रिटिश सेना ने कई नागरिकों को मार डाला और महिलाओं के साथ बलात्कार किया।

सेना ने लौटा दी थी घंटीचुशुल स्थित सेना की मेस में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति सिख सैनिकों द्वारा वापस लाई गई वस्तुओं में से एक थी। 1368-1644 Ming dynasty मिंग राजवंश की एक कांस्य की घंटी जोकि 16 में से एक ब्रिटिश जनरल ने लूटी थी। 1995 में भारतीय सेना ने बीजिंग के एक मंदिर को लौटा दी थी।

एक भारतीय सेना के कमांडर ने कहा कि यह ऐतिहासिक संदर्भ एक कारण हो सकता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी पंजाबी, या सिख सैनिकों पर इतना ध्यान केंद्रित करती है। और यही वजह है कि चीन के सैनिक लगातार तनाव वाले इलाके में पंजाबी गाने बजाकर ये एहसास दिला रहे हैं कि चीनी और पंजाबी एक हैं। चीन की ये चाल पंजाबी सैनिकों को तोड़ने का प्रयास है।

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