सुशांत के पिता के वकील को बड़े नेता के बेटे के शामिल होने का शक, बिहार सरकार के एडवोकेट ने पुलिस पर उठाए सवाल

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बॉलिवुड ऐक्‍टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई करे या मुंबई पुलिस, इसे लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में लंबी जिरह हुई। अब मामले में फैसला गुरुवार को आ सकता है। कोर्ट में भारत सरकार, बिहार सरकार और सुशांत के पिता के वकील ने क्‍या-क्‍या बातें रखीं, आइए सिलसिलेवार तरीके से जानते हैं…

बता दें, सुशांत के पिता के के सिंह ने पटना में रिया के खिलाफ धोखाधड़ी करने और सुशांत को आत्‍महत्‍या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इस पर रिया ने मांग की कि केस को पटना से मुंबई ट्रांसफर किया जाए।

तुषार मेहता बोले- सीबीआई कर सकती है जांच
भारत सरकार की तरफ से अपना पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही मामले की जांच कर रहा है। ऐसे में अगर कोई एक केंद्रीय एजेंसी मामला रजिस्टर कर लेती है तो दूसरी केंद्रीय एजेंसी (सीबीआई) को भी केस की जांच में शामिल होना चाहिए। वहीं, मामले में केवल बिहार में जांच लंबित है जिसके ट्रांसफर के लिए याचिका वैध ही नहीं है। मुंबई पुलिस ने केवल अनाधिकृत बयानों की रिकॉर्डिंग पेश की है।

मुंबई पुलिस ने किस आधार पर 56 लोगों से की पूछताछ?
मेहता ने मुंबई पुलिस के 56 लोगों से पूछताछ किए जाने पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि जब पुलिस ने जांच के लिए कोई एफआईआर ही दर्ज नहीं की तो वह इस तरह समन देकर 56 लोगों से पूछताछ नहीं कर सकती है। मामले में मुंबई पुलिस कोई ऐसा पूछताछ का रिकॉर्ड भी सामने लेकर नहीं आई है। चोटों के बारे में पता लगाने के लिए पूछताछ का दायरा बहुत सीमित है। पूछताछ की कार्रवाई जांच का स्थान नहीं ले सकती है। पुलिस ने अपने हलफनामें में पहले ही इसे एक सूइसाइड का मामला मान लिया है। सच सामने आना चाहिए और इसके लिए एक निष्पक्ष जांच की जरूरत है।

सुशांत के पिता को मुंबई पुलिस पर नहीं है भरोसा
सुशांत के पिता केके सिंह के वकील विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में बयान पढ़ते हुए कहा, ‘मैं केवल निष्पक्ष जांच चाहता हूं और मुझे अब मुंबई पुलिस पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। वे जांच को बिल्कुल अलग दिशा में ले जा रहे हैं।’ विकास सिंह ने कहा कि मुंबई पुलिस ने मुख्य आरोपी और संदिग्ध के अलावा सभी को पूछताछ के लिए समन भेजा। सुशांत की डेडबॉडी के गले पर निशान थे जो बेल्ट के हो सकते हैं। निश्चित तौर पर रिया के कंट्रोल में सबकुछ था। मुंबई पुलिस को रिया की जांच करनी चाहिए थी लेकिन वह कुछ और ही कर रही थी।

राजनीतिक नेता के बेटे पार्टी में थे शामिल
विकास सिंह ने कोर्ट में अपनी दलील देते हुए कहा कि वह किसी का नाम नहीं लेना चाहते लेकिन बहुत सी मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा है कि सुशांत की मौत से एक दिन पहले हुई पार्टी में एक बड़े राजनीतिक नेता के बेटे शामिल थे। मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने कानून की हत्या की है। उन्हें वॉट्सऐप पर मिली शिकायत को संज्ञान में लेना चाहिए था।

सोशल मीडिया को नहीं करने दे सकते जांच
वहीं, बिहार सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कोर्ट में कहा कि किसी को दूध का दूध और पानी का पानी करना होगा। हम सोशल मीडिया को जांच नहीं करने दे सकते हैं। मुंबई पुलिस ने न पहले कुछ किया था, न अब कुछ कर रही है और फिर वे पॉलिटिकल प्रेशर की बात करते हैं।

मुंबई पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
बिहार सरकार के वकील ने कहा कि एक बार मौत की वजह पता चल गई थी तो पुलिस को या तो केस बंद कर देना चाहिए था या एफआईआर लिखनी चाहिए थी। महाराष्ट्र सरकार ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की। 25 जून को सुशांत की पोस्टमॉर्टम की फाइनल रिपोर्ट आने तक मुंबई पुलिस ने कुछ नहीं किया। मनिंदर ने 2011 के सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का हवाला देते हुए बताया कि फाइनल पोस्टमॉर्टम के बाद कानूनी जांच जारी नहीं रह सकती है। यह समय 25 जून तक पूरा हो गया था।

मुंबई पुलिस ने नहीं दिया साथ
मनिंदर सिंह ने कहा कि मुंबई पुलिस ने इस केस में बिहार पुलिस का साथ नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट की फटकार के बाद भी आईपीएस विनय तिवारी को क्वॉरंटीन से तुरंत नहीं छोड़ा गया।

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