रेलवे ने शायद अभी तक का सबसे बड़ा पकड़ा है जो बाकायदा एक कॉर्पोरेट कंपनी की तरह काम करता था। इसके सॉफ्टवेयर इंजिनियरों की एक टीम दुबई में थी, भारत में उसके कंट्री हेड, सुपर एडमिन, लीड सेलर्स और करीब 20 हजार से ज्यादा एजेंट थे। इनके कंप्यूटर यूगोस्लाविया के आईपी अड्रेस पर काम करते थे।
रेलवे प्रटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) को इस घोटाले की जड़ तक पहुंचने में करीब दो महीने लग गए। के अनुसार इस पूरे गैंग का मास्टर मांइड हामिद अशरफ नाम का शख्स है जो दुबई में रहता है। अशरफ को साल 2016 में यूपी के गोंडा से टिकटों की धांधली के केस में अरेस्ट किया गया था। जांचकर्ताओं का मानना है कि वह साल 2019 में यूपी में हुए बम ब्लास्ट में भी शामिल था।
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हाल ही में अरेस्ट किए 26 सदस्य
पिछले कुछ हफ्तों में आरपीएफ ने 26 लोगों को अरेस्ट किया है। इनमें गिरोह का इंडिया हेड गुलाम मुस्तफा भी शामिल है। इसे 19 जनवरी को बेंगलुरु से अरेस्ट किया गया। गैंग के पश्चिमी रीजन के रीजन हेड, दीपल साहा उर्फ डैनी साहा को बोरिवली में पश्चिम एक्सप्रेस से 22 जनवरी को पकड़ा गया। वह गुजरात भागने की फिराक में था।
सेकंडों में बिक जाते थे देश के आधे टिकट
आरपीएफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यह गैंग ऑन लाइन बुकिंग शुरू होने के महज 40 सेकंडों में देश में बेचे जाने वाले औसतन आधे टिकटों को खरीद लेता था। इसके लिए उसके 20 हजार एजेंट एक ऐसा सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते थे जिनकी वजह से उन्हें सिक्युरिटी क्लियरेंस की जरूरत नहीं पड़ती थी बल्कि ओटीपी जनरेट करने और उसे सबमिट करने के झंझट से भी मुक्ति भी मिल जाती थी।
अब है ‘गुरु जी’ की तलाश
आरपीएफ के एक सीनियर अधिकारी ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि अब जांचकर्ता ऐसे गैंग मेंबर की खोज कर रहे हैं जिसे सब ‘गुरु जी’ के नाम से जानते हैं। ऐसा लगता है कि वही गिरोह में फंड का मैनेजमेंट करता था।
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