स्लाइवा विवाद पूर्व क्रिकेटर ने कहा, 'सर्कस न बनाएं'

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विकास कृष्णनन, चेन्नै
कोरोना वायरस (Coronavirus Pandemic) के इस दौर में खेल गतिविधियां बिलकुल थमी हुई हैं लेकिन महामारी (Covid-19) खत्म होने के बाद खेल कैसे पटरी पर आएगा इस पर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। इनमें से ज्यादातर चर्चाएं गेंद के इर्द-गिर्द हैं। जब से आईसीसी की मेडिकल कमिटी ने सुझाव दिया है कि मौजूदा परिस्थितियों में गेंद को चमकाने के लिए स्लाइवा या पसीने का इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है- उसके बाद गेंद क्रिकेट जगत में चर्चा का केंद्र है।

एक साइड भारी गेंद बनाने के पक्ष में वॉर्न
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व स्पिनर शेन वॉर्न (Shane Warne) ने भी गेंद को लेकर चल रही इस बहस में अपनी राय रखी। हमेशा से अलग सोच रखने वाले इस दिग्गज लेग स्पिनर हमेशा से हटकर सोचने और बोलने के लिए जाने जाते है। उन्होंने सलाह दी भारी गेंद इस्तेमाल करने की। यह एक टेप लगी टेनिस गेंद की तरह हो जहां गेंद का एक हिस्सा दूसरे से भारी हो। वॉर्न का कहना है कि इससे गेंद चमकाए बिना भी स्विंग होगी।

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‘सपाट पिचों पर मिलेगी गेंदबाजों को मदद’
उनका मानना है कि तेज गेंदबाजों को सपाट विकेट पर भी इस तरह की गेंद से मदद मिलेगी और साथ ही बॉल टैंपरिंग की समस्या भी खत्म हो सकती है। इससे पहले सिर्फ कृत्रिम तरह से गेंद को चमकाने के विचार दिए जाते थे, इसके लिए भी आईसीसी को बॉल टैंपरिंग के अपने मौजूदा नियमों में बदलाव करने की जरूरत है।

काफी सोचना पड़ेगा
उन्होंने आगे कहा था, ‘गेंद को स्विंग कराने के लिए उसे एक ओर से भारी क्यों नहीं बनाया जा सकता? इससे वह हमेशा स्विंग होती रहेगी।’ वॉर्न ने कहा कि इससे बॉल टैंपरिंग की समस्या भी हमेशा के लिए दूर हो जाएगी और बैट और गेंद के बीच एक अच्छी प्रतियोगिता भी पैदा होगी। हालांकि यह वॉर्न का आइडिया हो सकता है, लेकिन इसे कोई अमली जामा पहनाने से पहले तमाम तरह से विचार करना जरूरी होगा।

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शर्मा को नहीं भाया आइडिया
भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज चेतन शर्मा की नजर में वॉर्न का यह आइडिया कारगर नहीं होगा. 54 वर्षीय शर्मा का मानना है कि खेल से ज्यादा छेड़छाड़ करने की जरूरत नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह दौर जिसमें सभी खेल गतिविधियां रुकी हुई हैं, असल में गुजर जाएगा।

क्रिकेट को सर्कस न बनाएं
भारत ने 23 टे्ट और 65 वनडे इंटरनैशनल खेलने वाले शर्मा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, ‘मुझे लगता है कि हम मामले को ज्यादा पेचीदा बना रहे हैं। क्रिकेट को जैसा है वैसा ही रहने दें। इसे सर्कस न बनाएं। मेरे विचार से जब यह महामारी खत्म होगी क्रिकेट फिर वहीं से शुरू होगा। अगर किसी मैच में खेल रहे सभी क्रिकेटर नेगेटिव मिलते हैं तो फिर क्या समस्या है? यही एक तरीका है। खेल में ज्यादा बदलाव की जरूरत नहीं है।’

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शर्मा के मुताबिक गेंद पर स्लाइवा या पसीना लगाने को टाला नहीं जा सकता चूंकि यह इनसानी फितरत है कि वह थोड़ी-थोड़ी देर में अपने चेहरे और मुंह को छूता रहता है।

बहस ही गैर-जरूरी
उन्होंने कहा, ‘गेंद पर स्लाइवा या पसीना न लगाने की यह बहस अव्यवाहारिक है। अपने होंठों और माथे को हाथ लगाने इनसानी स्वभाव का हिस्सा है। इसी तरह जब आप गेंद को छूते हैं, उस पर आपका स्लाइवा और पसीना होगा। जब आपका मुंह सूख जाता है या आप पानी पीते हैं तो क्या अपने मुंह पर हाथ नहीं लगाते? इससे बचा नहीं जा सकता।’

‘स्पिनर्स के लिए भी मददगार’
गेंद को चमकाने को लेकर ज्यादातर बहस पेसर्स को लेकर है लेकिन लेग स्पिनर पीयूष चावला का कहना है कि इससे स्पिनर्स को भी मदद मिलती है। उन्होंने कहा, ‘गेंद की चमक से स्पिनर्स को ड्रिफ्ट हासिल करने में मदद मिलती है। अगर विकेट में टर्न है, तो कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन अगर अच्छी बल्लेबाजी विकेट है तो स्पिनर्स को भी शाइन की जरूरत होती है जिससे वे बल्लेबाजों को चमका दे सकें।’

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