Coronavirus vaccine vs Herd imminuty: हर्ड इम्युनिटी अस्थायी होती है। बच्चे बिना इम्युनिटी के पैदा होते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना हमेशा बनी रहेगी।
कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus pandemic) दुनियाभर में तीन करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है। ऐसे में हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity) के जरिए कोरोना पर काबू पाने की कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं। भारत समेत कुछ देशों में हाल के दिनों री-इन्फेक्शन के मामले सामने आए हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग (genome sequencing) के जरिए यह दिखाया गया कि दूसरी बार का इन्फेक्शन जिस Sars-CoV-2 वायरस से हुआ, वह जेनेटिक रूप से अलग था। यानी वायरस अपना रूप बदलकर पहले इन्फेक्शन से बनी ऐंटीबॉडीज को बेअसर कर दे रहा है। इस स्थिति में वैक्सीन ही कोरोना वायरस से बचने का एकमात्र उपाय नजर आ रही है।
बिल गेट्स भी हर्ड इम्युनिटी के पक्ष में नहीं
दुनिया की दूसरी सबसे रईस शख्सियत और कई वैक्सीन प्रोग्राम्स के स्पांसर बिल गेट्स भी हर्ड इम्युनिटी को ठीक नहीं मानते। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा था, “लोगों को तब तक बीमार होने देना जब तक अधिकतर इम्युन न हो जाएं और बीमारी आसानी से न फैले, उससे करोड़ों लोगों की मौत होगी। दूसरी बात ये है कि हर्ड इम्युनिटी हमेशा अस्थायी होती है क्योंकि बच्चे बिना इम्युनिटी के जन्म लेते हैं। और आखिर में हमेशा इतने लोग होंगे कि बीमारी आसानी से फैल सके।”
एक बार ठीक होने का मतलब इम्युनिटी नहीं…
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ माइकल रयान ने अगस्त में कहा था, “अभी ऐसा कोई सबूत नहीं है कि कोविड-19 से रिकवर हो चुके लोग जिनमें ऐंटीबॉडीज हैं, उन्हें दोबारा इन्फेक्शन नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा था कि हमें हर्ड इम्युनिटी को लक्ष्य बनाकर नहीं चलना चाहिए।
‘वैक्सीन से ही हासिल होगी इम्युनिटी’
बिल गेट्स के अनुसार, केवल वैक्सीन ही कोविड-19 महामारी को खत्म कर सकती है। उन्होंने कहा था, “वैक्सीन बेहद महत्वूपर्ण है। इससे अभी तो जिंदगियां बचेंगी ही, भविष्य की पीढ़ियों को भी इस अनुभव से दो-चार होने से बचाया जा सकेगा।”