उत्तर प्रदेश के गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सिजन कांड में आरोपी को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। उनके ऊपर योगी सरकार की ओर से लगाया गया एनएसए ऐक्ट हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने डॉ. कफील को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। डॉ. कफील के मामले में जल्दी ही फैसला देने का आदेश बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में विवादित बयान देने के मामले में डॉ. कफील खान की मुंबई से गिरफ्तारी की गई थी। वह फिलहाल मथुरा जेल में हैं। इस मुकदमे में 10 फरवरी के बाद डॉ. कफील की रिहाई की तैयारी चल रही थी। लेकिन उनके खिलाफ एनएसए के तहत मुकदमा लिखा गया था।
सीएए के विरोध में दिया था भड़काऊ भाषण
दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर योगेंद्र यादव के साथ डॉ. कफील ने एएमयू में विवादित बयान दिया था। इस पर कफील के खिलाफ सिविल लाइंस केस दर्ज किया गया था। इसी मामले में 10 फरवरी के बाद रिहाई की तैयारी थी, लेकिन इससे पहले उनके ऊपर एनएसए के तहत कार्रवाई की गई।
हाई कोर्ट ने नहीं मानी सरकार की दलील
सरकार ने सीएए के विरोध में डॉ. कफील के भाषण को भड़काऊ माना था। अदालत ने कहा कि डॉ. कफील का भाषण हिंसा या नफरत बढ़ाने वाला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अखंडता और नागरिकों के बीच एकता बढ़ाने वाला था।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिनों के अंदर सुनवाई पूरी करने के दिए थे आदेश
डॉ. कफील ने रासुका (NSA) के तहत हिरासत में लिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि डॉ. कफील की हाई कोर्ट में पेंडिंग याचिका पर 15 दिनों के अंदर सुनवाई पूरी की जाए।
भाई ने फैसले को बताया ऐतिहासिक
डॉ. कफील के भाई अदिल खान ने कहा, ‘ ने डॉ. कफील खान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम रद्द कर दिया। मैं हाई कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं और अदालत को धन्यवाद देता हूं। यह फैसला इतिहास में एक उदाहरण होगा।’