1 से 1000 पॉजिटिव…महाराष्ट्र में कहां हुई चूक?

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मुंबई
महाराष्ट्र में पहला कोरोना वायरस पॉजिटिव केस 9 मार्च को सामने आया था। पुणे में दुबई से लौटा एक दंपती कोरोना संक्रमित पाया गया। अगले दिन इसी दंपती के संपर्क में आने वाले 3 और लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। लगभग एक महीने के बाद महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 1 हजार पार हो चुका है जबकि 64 की मौत हो चुकी है। इसी के साथ महाराष्ट्र पूरे देश में सबसे अधिक कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों वाला राज्य बन गया है।

वहीं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई कोरोना का सबसे बड़ा हॉटस्पॉट बनी हुई है जहां अकेले 600 से अधिक कोरोना संक्रमित हैं और 40 की मौत हो चुकी है। आखिर महाराष्ट्र में कैसे कोरोना मरीजों के आंकड़ों में इतनी तेजी आई कि आज की तारीख में कई इलाके तीसरे स्टेज में पहुंचने से चंद कदम दूर हैं, जानिए-

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1-मुंबई बना हॉटस्पॉट, सबसे अधिक मरीज
मुंबई ही एकमात्र बड़ा हॉटस्पॉट है जहां मरीजों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है और मरीजों की मौत की संख्या भी सर्वाधिक है। ऑफिस और बिजनस के काम से कई विदेशी रोजाना मुंबई आते-जाते हैं और लाखों भारतीय नागरिक मुंबई से बाहर के देशों में जाते हैं। इन यात्राओं की वजह से मार्च महीने में पहला मरीज मिला। अब ये राज्य के दूसरे हिस्सों में भी फैल गया है। मुंबई में अनजाने में ही बाहर से लौटे लोग अपने साथ कोरोना वायरस लेकर आए और अब यह आम आदमी तक पहुंच गया है।

यहां एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी- बस्ती कही जाने वाली धारावी में कोरोना संक्रमण फैल चुका है। इसके अलावा बांद्रा टर्मिनस से सटे बेहरामपाड़ा और कुर्ला के जरीमरी वगैरह झुग्गियों तक फैल गया है। राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर मातोश्री के आसपास भी कोरोना वायरस संक्रमण पाया गया है। मुंबई में लोकल ट्रेन और से सफर करने वालों की संख्या भी अधिक है, इस वजह से भी संक्रमण के मामले आने लगे।

2-एयरपोर्ट पर सिर्फ विदेशियों की स्क्रीनिंग
महाराष्ट्र में पहला केस आने से काफी पहले तक एयरपोर्ट पर थर्मल स्क्रीनिंग शुरू हो चुकी थी। इसमें कोई भी यात्री बाहर से आता था तो उससे एक सेल्फ डिक्लरेशन फॉर्म भराया जाता। इसमें उसकी ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लिखी जाती। इसके बाद उसकी थर्मल स्क्रीनिंग होती। अगर किसी में कोरोना जैसे लक्षण नजर आते तो उन्हें उसी समय अलग किया जाता और निगरानी में रखा जाता।

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मामला बढ़ने पर विदेश से आने वाले सभी लोगों को 14 दिनों के लिए एहतियातन क्वारंटीन में रहने की सलाह दी गई। लेकिन तब तक कई ऐसे केस सामने आ चुके थे जिन्हें क्वारंटीन में नहीं रखा गया था। ये आराम से बाहर घूमते रहे और इनसे दूसरों को संक्रमण पहुंचता गया। हालांकि शुरू से ही इसको लेकर आशंका व्यक्त की गई कि सिर्फ बाहर और खासकर संक्रमित देशों से ही आने वालों की स्क्रीनिंग बड़ी लापरवाही हो सकती है। यानी बाहर से आने वाला यात्री स्क्रीनिंग पास करके भारत के किसी दूसरे शहर या राज्य में जाता है तो उसकी स्क्रीनिंग उतनी जरूरी नहीं समझी गई। घरेलू यात्रियों की स्क्रीनिंग के लिए एयरपोर्ट में व्यवस्था नहीं की गई थी।

3- क्वारंटीन का पालन नहीं किया गया
भारत में दूसरे स्टेज में कोरोना वायरस के पहुंचने पर कोरोना संदिग्धों के साथ-साथ बाहर से आने वाले हर यात्री को 14 दिन के लिए क्वारंटीन की सलाह दी गई। चाहे स्क्रीनिंग का रिजल्ट नेगेटिव हो तब भी। कुछ लोग नहीं माने तो क्वारंटीन ब्रीच करने के कई केस सामने आने लगे। इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बाहर से आने वाले यात्रियों के हाथ में क्वारंटीन स्टैंप भी लगाया और 14 दिन घर पर ही रहने को कहा। इसके बाद जिन लोगों ने इसका उल्लंघन किया तो उनके खिलाफ केस दर्ज हुआ।

पिछले दिनों महाराष्ट्र के सांगली जिले में चार लोगों को खुद क्वारंटीन न करने के चलते अब 300 लोगों को घर में क्वारंटीन किया गया। उनकी इस गलती के चलते एक ही परिवार के 24 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। कई लोगों ने सेल्फ आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग को भी फॉलो नहीं किया जिससे इसके मामले बढ़ते गए।

4- कम टेस्टिंग पर सवाल, अस्पतालों की लापरवाही आई सामने
एयरपोर्ट स्क्रीनिंग के साथ ही शुरुआत से भी भारत में कम टेस्टिंग पर भी सवाल उठे। भारत में केवल उन्हीं लोगों की जांच की जा रही है जो या तो किसी देश की यात्रा करके लौटे हैं या फिर विदेश से लौटे व्यक्तियों के संपर्क में आए। इसके अलावा टेस्टिंग को लेकर बने नियम-निर्देश भी संक्रमण फैलने की वजह बने। इसके अनुसार, अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और खांसी तीनों की समस्या है सिर्फ इसी दशा में उसकी जांच के दायरे में होगी।

इसके अलावा अस्पतालों की लापरवाही भी सामने आई है। मुंबई के वॉकहार्ट अस्पताल में 3 डॉक्टर और 40 से अधिक नर्स और स्वास्थ्य कर्मचारियों समेत 52 लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं। अस्पताल को सील कर दिया गया। बीएमसी ने अस्पताल को कंटेनमेंट जोन भी घोषित कर दिया। इसके अलावा डॉक्टरों और नर्सों ने भी सवाल उठाए कि अस्पताल ने उन्हें समय रहते पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) उपलब्ध नहीं कराए और संदिग्ध मामलों को अलग करने में भी फेल रहा।

5- झुग्गी बस्तियों में फैल गया संक्रमण
केंद्र सरकार के अनुसार, तबलीगी जमात के आयोजन के चलते पूरे देश में कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। एक तथ्य यह भी कहा गया कि मुंबई की झुग्गी-झोपड़ियों में मरकज कनेक्शन के चलते कोरोना वायरस का प्रसार हुआ है। कई लोग विदेश से आए और इन बस्तियों के अनजाने में संपर्क में आ गए जिससे यहां संक्रमण फैला। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई के अस्पतालों में 90 फीसदी मरीजों का तबलीगी जमात से कनेक्शन सामने आया है। इसके अनुसार, धारावी का मदीना नगर, बालिगानगर, बांद्रा का बेहरामपाड़ा और कुर्ला के जरीमरी इलाके में समुदाय विशेष के लोगों में ही कोरोना का कहर ज्यादा देखने को मिला है।

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