लॉकडाउन के दौरान ज्यादा से ज्यादा प्रवासियों को घर पहुंचाने की कवायद के तहत रेलवे ने अब ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों में 1200 की जगह 1700 यात्रियों को भेजने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, अब इन स्पेशल ट्रेनों को नॉन-स्टॉप नहीं चलाया जाएगा। अब ये ट्रेनें संबंधित राज्य में डेस्टिनेशन के अलावा 3 जगहों पर रुकेंगी।
जिस राज्य के मजदूर होंगे वहां 3 जगहों पर ठहरेगी ट्रेन
रेलवे की ओर से जारी आदेश में, रेलवे जोनों को संबंधित राज्यों में गंतव्य के अलावा तीन जगहों पर गाड़ियों के ठहराव के लिए कहा गया है। राज्य सरकारों ने रेलवे से यह गुजारिश की थीं। यह गुजारिश इसलिए की गई थी कि एक ही रूट के ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों को ले जाया जा सके।
स्टॉपेज से यह होगा फायदा (shramik train ka stoppage)
अभी तक अगर प्रवासी मजदूर जिस राज्य में फंसे हुए हैं, उनके जिले के हिसाब से ट्रेनों का इंतजाम किया जा रहा है। मान लीजिए कि दिल्ली में यूपी के मजदूर फंसे हैं। उनके शहर के हिसाब से ट्रेनों की व्यवस्था हो रही है। प्रवासी मजदूरों को अपने जिले या फिर नजदीकी डेस्टिनेशन वाली ट्रेनों में बैठकर जाना पड़ रहा है मान लीजिए कि गोरखपुर के लिए चल रही है। अब जो मजदूर बाराबंकी या फिर गोंडा के हैं, उन्हें भी मजबूरी थी कि वे गोरखपुर तक जाएं। फिर वहां से किसी तरह अपने घर लौटें। अब अगर वही ट्रेन गोंडा या बाराबंकी में भी ठहरे तो इन प्रवाासियों को आसानी होगी। इसके अलावा राज्य भी आसानी से प्रवासियों को भेज सकेंगे। अभी तक उन्हें संबंधित जिलों से ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन का इंतजार रहता था।
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 24 स्लीपर कोच
इसमें यह भी कहा गया है कि ट्रेन में यात्रियों को ले जाने की क्षमता उसमें मौजूद स्लीपर सीटों की संख्या के बराबर होनी चाहिए। श्रमिक स्पेशल गाड़ियों में 24 कोच हैं और हर कोच में 72 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है।
स्पीपर कोच में 72 के बजाय 54 यात्री ले जाए जा रहे
सोशल डिस्टेंसिंग के प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए फिलहाल हर डब्बे में 54 यात्रियों को लेकर ले जाया जा रहा है। रेलवे ने एक मई से अब तक 5 लाख यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया है।
रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की क्षमता, और बढ़ाने की कोशिश
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम के बारे में जानकारी देते हुए बताया, ‘रेलवे के पास रोजाना 300 ट्रेनें चलाने की क्षमता है और हम इसे ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं। अगले कुछ दिनों में हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया जाए। और इसके लिए हमने राज्यों से मंजूरी भेजने को कहा है।’
(पीटीआई से इनपुट)
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