बस्तर: लाल चींटी की चटनी की मांग छत्तीसगढ़ में तेजी से बढ़ रही है। इसका जिक्र विश्व स्तर पर होता है। आदिवासियों का मानना है कि लाल चींटी की चटनी खाने से मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां नहीं होती हैं। बस्तर के आदिवासियों के लिए लाल चींटी की चटनी चापड़ा रोजाना खान-पान का हिस्सा बन गया है। बस्तर के आदिवासियों के लिए ये चटनी ट्रेडिशनल फूट कहलाता है। जो दुनिया भर के लोगों को भी आकर्षित कर रही है। लेकिन अब बस्तर के आदिवासी इसे रोजगार का साधन भी बना लिया। छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों में लाल चींटी के औषधीय गुण के कारण इसकी बहुत मांग हैं। चापड़ा उन्हीं चींटियों से बनाया जाता है जो मीठे फलों के पेड़ पर अपना आशियाना बनाती हैं। आदिवासियों का कहना है कि चिंटियां जब लोगों को काटता है तो इंसान का बीमारी दुर हो जाता है। बस्तर में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में चापड़ा के शौकीन इसे खूब खरीदते हैं।
जगदलपुर से 55 किलोमीटर दूर तिरतुम में “आमचो बस्तर” ढाबा संचालित है। ढाबे के मालिक आदिवासी राजेश यालम हैं, जिनकी उम्र महज 23 साल है। इतनी कम उम्र में ही राजेश ने अपनी अलग पहचान न सिर्फ बस्तर, छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में बना ली है। राजेश ने बस्तर की विश्व प्रसिद्ध लाल चींटी की चटनी और बस्तरिया फूड से अपनी पहचान बनाई है. राजेश का आमचो बस्तर ढाबा संभवत: पूरे देश में एकमात्र ढाबा है, जिसके मेन्यू कार्ड में लाल चींटी की चटनी भी शामिल है।
बस्तरिया फूड को बनाया कमाई का जरिया
राजेश ने बताया कि मैं बस्तर के पारंपरिक व्यंजनों के प्रचार प्रसार के लिए देश भर में घूमता हूं। जहां भी आदिवासी मेला आयोजित होता है, वहां मै स्टॉल लगाता हूं। इस बस्तरिया फूड को लोग खूब पसंद करते है। लेकिन ये आसानी से लोगों को उपलब्ध नहीं होता है। खुद बस्तर में ही तमाम होटल और ढाबों के मेन्यू कार्ड में रेगुलर आइटम के अलावा चाइनीज व्यंजनों की भरमार होती है। बस्तरिया फूड कहीं नहीं मिलता। इसलिए ही मैंने ऐसा ढाबा संचालित करने का निर्णय लिया, जहां बस्तरिया फूड लोगों को खिलाया जा सके। इस ढाबे से औसतन 2 से ढाई लाख रुपये प्रतिमाह का व्यवसाय हो जाता है।’
इन बस्तरिया फूड से कमाई
राजेश बताते हैं कि आमचो बस्तर ढाबे में बस्तर की विश्व प्रसिद्ध लाल चींटी की चटनी (चांपड़ा), बांबू चिकन, सुक्सी, भेंडा झोर, अंडा पुड़गा, टिकुर की मिठाई, महुआ लड्डू, माड़िया पेच, लांडा (चावल से बनी शराब), मौसम के अनुसार बोड़ा और पुटू, महुआ चाय समेत अन्य बस्तरिया व्यंजन का लुत्फ लिया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह और अर्जुन मुंडा भी एक एक्जीबिशन में राजेश द्वारा बनायी गई महुआ का शराब और लाल चींटी की चटनी का स्वाद ले चुके हैं।