372 साल में पहली बार ना तो शाहजहां का उर्स हुआ और ना ही ईद की नमाज

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अनिल शर्मा, आगरा
छह महीने से भी अधिक वक्त के बाद सोमवार को (Taj Mahal) के दरवाजे सैलानियों के लिए खोल दिए गए। लेकिन यह जानना भी दिलचस्प होगा कि ताजमहल के निर्माण होने के 372 साल में यह पहला मौका है, जब 188 दिन तक लगातार ताज के दरवाजे सैलानियों के लिए बंद रहे। दस्तावेजों के मुताबिक ताजमहल का निर्माण 1632 से 1648 के बीच हुआ। इसके बाद से अब तक ताज केवल तीन बार सैलानियों के लिए बंद किया गया।

सबसे पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पहली बार पर्यटकों के लिए ताजमहल को बंद किया गया था। तब इसे पूरी तरह पेड़ों की टहनियों से ढक दिया गया था। युद्ध 4 से 16 दिसंबर तक चला था, लेकिन उसकी सफाई में दो दिन और लगने से यह पर्यटकों के लिए 4 से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।

दूसरी बार साल 1978 में यमुना में सितंबर के महीने बाढ़ की पानी ताजमहल परिसर में चमेली फर्श के नीचे तक आ गया था। लोगों का जमावड़ा ताजमहल के मुख्य गुंबद पर बाढ़ का नजारा देखने के लिए उमड़ रहा था। सुरक्षा की दृष्टि से तब सात दिन तक ताजमहल को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था।

अब तीसरी बार ताजमहल कोरोना संक्रमण के कारण 17 मार्च से 20 सितंबर तक बंद रहा। ताजमहल की इस अभूतपूर्व छह महीने की बंदी के दौरान यह पहला मौका था, जब न तो शाहजहां का तीन दिवसीय उर्स का आयोजन हुआ और न दो बार ईद की नमाज अदा हो सकी। जबकि उर्स और ईद की नमाज के लिए ताजमहल में प्रवेश फ्री रहता था। परंतु कोरोना संक्रमण के चलते ताजमहल के गेट बंद कर दिए गए थे।

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