राजधानी दिल्ली और राजस्थान में गुरुवार को भी प्रचंड गर्मी से राहत नहीं मिली। मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। वहीं, राजस्थान के कुछ इलाकों में अगले 24 घंटों में लू चलने की आशंका व्यक्त की गई है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कहा कि महाराष्ट्र इस बार ज्यादा बारिश वाले राज्यों की कैटिगरी में आ गया है।
दिल्ली में भीषण गर्मी, 46 डिग्री तक पहुंचा पारा
देश की राजधानी दिल्ली में गुरुवार को अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। सफदरजंग स्थित भारतीय मौसम विज्ञान की वेधशाला (ऑब्जर्वेटरी) में 42.5 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। वहीं, आयानगर स्थित वेदर स्टेशनों ने गुरुवार दिन का अधिकतम तापमान 46.4 डिग्री सेल्सियस आंका। राजधानी के अलग-अलग हिस्सों के वातावरण में नमी की मात्रा 38 से 81 प्रतिशत तक आंकी गई। मौसम विभाग ने शुक्रवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में बादल छाने का अनुमान व्यक्त किया है। पूर्वानुमान में बताया गया है कि शुक्रवार को दिल्लीवासियों को 30 डिग्री से 43 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ सकता है।
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राजस्थान के कुछ इलाकों में लू की आशंका
गंगानगर गुरुवार को राजस्थान का सबसे गर्म इलाका रहा जहां 46.1 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग के मुताबिक, चुरू, बिकानेर, जैसलमेर और जयपुर में अधिकतम 45.6 डिग्री, 44.8 डिग्री, 44 डिग्री और 43.3 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया। वहीं, कोटा, जोधपुर, बाड़मेर और दबोक में यह क्रमशः 41.9 डिग्री, 41.4 डिग्री, 41 डिग्री और 36.6 डिग्री सेल्सियस रहा। मौसम विभाग ने बताया कि अगले 24 घंटों में मौसम में बदलाव की गुंजाइश नहीं है। हालांकि, कुछ जगहों पर लू चलने की आशंका है।
महाराष्ट्र में ज्यादा बारिश
मध्य महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश हुई और तटीय इलाकों में आया ‘चक्रवात निसर्ग’ ने राज्य को अधिक वर्षा वाली श्रेणी में पहुंचा दिया है। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक, मुंबई और एमएमआर क्षेत्र में 1 से 18 जून के बीच काफी अधिक बारिश हुई है। अधिकारी ने बताया कि कोंकण उपमंडल में अबतक 523 मिली मीटर बारिश हुई है, लेकिन आमतौर पर 317 मिमी बरसात होती है। इस उपमंडल में मुंबई और महाराष्ट्र के तटीय जिले शामिल हैं। आंकड़ों में बताया गया है कि मध्य महाराष्ट्र में 164 मिमी बारिश हुई है। इस हिस्से में आमतौर पर 81 मिमी बारिश होती है।
इसी तरह, विदर्भ क्षेत्र या राज्य के पूर्वी जिलों में राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में कम बारिश हुई है। आईएमडी के पूर्वानुमान के मुताबिक, महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में व्यापक बारिश होने का अनुमान है जबकि राज्य के अन्य हिस्सों में 22 जून तक कहीं-कहीं बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी के अनुमान के मुताबिक, दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वजह से विदर्भ क्षेत्र में 22 जून को व्यापक बारिश हो सकती है। तब तक क्षेत्र में हल्की बारिश होगी।
मॉनसून की धमक से ही बिहार में बाढ़
नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही बारिश के बाद बागमती के जलस्तर में हो रही वृद्धि से बिहार के मुजफ्फरपुर के औराई और कटरा प्रखंड में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इस बीच कई क्षेत्रों में आवागमन ठप हो गया है। इधर, कटरा में पीपा पुल बह जाने के बाद 14 से ज्यादा पंचायतों के प्रखंड और जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। मुजफ्फरपुर के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि बागमती के जलस्तर में मंगलवार देर रात करीब चार फीट की वृद्घि हुई। इससे बकुची स्थित बागमती पर बना पीपा पुल तेज धार में बह गया। इससे प्रखंड मुख्यालय से 14 पंचायत का आवागमन बाधित हो गया, वहीं बेनीबाद-बकुची-औराई मुख्य मार्ग में बसघट्टा बागमती बांध के निकट बना डायवर्सन नदी की तेज धारा में टूट गया, जिससे इस मुख्य मार्ग में एक-दो स्थानों पर सड़क पर पानी चढ़ गया। जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए लोग अब उंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं।
इस साल 10% बढ़ सकता है सोयाबीन का रकबा
प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने बृहस्पतिवार को अनुमान जताया कि मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान देश में सोयाबीन का रकबा 10 फीसद बढ़कर 118 लाख हेक्टेयर के आसपास रह सकता है। सोयाबीन, नकदी फसल होने के चलते किसानों में ‘पीले सोने’ के रूप में मशहूर है। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया कि पिछले खरीफ सत्र के दौरान देश में 107.61 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था, जबकि इसकी पैदावार 93.06 लाख टन रही थी।
पिछले साल मॉनसून की भारी बारिश ने इस तिलहन फसल को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। पाठक ने बताया, ‘हमें लगता है कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में मक्का तथा कपास की खेती करने वाले कई किसान उपज के बेहतर भावों की उम्मीद में इस बार सोयाबीन बोएंगे। इससे तिलहन फसल के रकबे में बढ़ोतरी होगी।’ उन्होंने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की आमद के साथ ही मध्यप्रदेश और अन्य प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में सोयाबीन की बुआई शुरू हो गई है जिसके जुलाई के पहले हफ्ते तक खत्म होने का अनुमान है।